शुरुआती जीवन
केलिफोर्निया में जन्मे स्टीव जॉब्स का जीवन जन्म से ही संघर्षपूर्ण था उनकी मां आविवाहिता कोलेज छात्रा थी इसलिए वह उन्हें रखना नहीं चाहती थी इसलिए स्टीव जॉब्स को गोद देने का फैसला किया गया स्टीव जॉब्स को पाल और कालरा को गोद दे दिया गया।पाल और कालरा दोनों ही ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और मध्यम परिवार से थे। पॉल मैकेनिक थे और स्टीव को इलेक्ट्रॉनिक चीजों के बारे में बताया करते थे और कालरा अकाउंटेंट थी वह स्टीव की पढ़ाई में मदद किया करती थी।
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सन 1972 मैं कॉलेज की पढ़ाई के लिए ओरेगन की रीड कॉल में दाखिला लिया जो वहां की महंगी कॉलेज थी। स्टीव पढ़ने में बहुत अच्छे थे लेकिन, उनके माता-पिता पूरी फीस नहीं भर पाते थे, इसलिए स्टीव ने फीस भरने के लिए बोतल के कोक बेचकर थे। पैसों की कमी के कारण मंदिरों में जाकर वहां मुफ्त मैं मिलने वाला खाना खाया करते और अपने हॉस्टल का किराया बचाने अपने दोस्तों के कमरों में जमीन पर ही सो जाया करते थे। इतनी बचत के बावजूद भी वह फीस के पूरे पैसे नहीं जुटा पाते थे और अपने माता पिता को कड़ी मेहनत करते देख उन्होंन कॉलेज की पढ़ाई छोड़ अपने माता पिता कि मदद करने की सोची। लेकिन उनके माता पिता सहमत नहीं थे इसलिए उन्होंने कॉलेज छोड़ क्रिएटिव क्लासेस जाना स्वीकार किया। जल्द ही उसमें स्टीव को रूचि बढ़ने लगी। क्लासेस जाने के साथ साथ अटारी नामक कंपनी में टेक्नीशियन का काम भी करने लगे। स्टीव अपने धर्म गुरु से मिलने भारत आए भारत आने के बाद उन्होंने काफी समय भारत में बिताया इस दौरान उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और पूरी तरह आध्यात्मिक हो गए। और भारत से वापस केलिफोर्निया चले गए।
एप्पल कंपनी की शुरुआत
सन 1976 में मात्र 20 वर्ष की उम्र में स्टीव ने एप्पल कंपनी की शुरुआत की स्टीव ने अपने स्कूल के सहपाठी के साथ मिलकर अपने पिता के गैरेज में ऑपरेटिंग सिस्टम मोनीटॉस तैयार किया। और इसे बेचने के लिए एप्पल कंप्यूटर का निर्माण करना चाहते थे लेकिन पैसों की कमी के कारण समस्या आ रही थी लेकिन उनकी यह समस्या उनके मित्र ने दूर कर दी और वह भी कंपनी में साझेदार बन गए। और इस टीम ने एप्पल कंप्यूटर बनाने की शुरुआत की। उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए पेप्सी, कोका कोला कंपनी के मुख्य अधिकारी को भी शामिल कर लिया। स्टीव और उनके मित्रों की कड़ी मेहनत के कारण कुछ ही सालों में एप्पल कंपनी गैराज से एक बढ़कर $2 अरब डॉलर ओर 4000 कर्मचारियों वाली कंपनी बन चुकी थी।
एप्पल कंपनी से इस्तीफा
उनकी यह उपलब्धि ज्यादा देर तक ना रही उनके साझेदार द्वारा उनको ना पसंद किए जाने और आपस में कहासुनी के कारण एप्पल कंपनी की लोकप्रियता कम होने लगी। धीरे-धीरे कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गई। और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग में पूरी गलती स्टीव की बताकर सन 1985 में उन्हें एप्पल कंपनी से बाहर कर दिया। यह उनकी जिंदगी का सबसे दुखद दिन था क्योंकि जिस कंपनी को उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से लगन से बनाया था उसी से उन्हें बाहर कर दिया गया। स्टीव के जाते ही कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गई एप्पल से इस्तीफा देने के 5 साल बाद उन्होंने next-ink नाम की ओर pixer नाम की दो कंपनी की शुरुआत की।
next-ink मैं उपयोग की जाने वाली तकनीक बहुत उत्तम थी और उनका काम बेहतरीन सॉफ्टवेयर बनाना था और pixer कम्पनी का काम एनीमेशन बनाना था। 1 साल तक काम करने के बाद पैसों की समस्या आने लगी और उन्होंने rosh perot के साथ साझेदारी कर ली और पैरोट ने अपने पैसे का निवेश किया। सन 1990 में नेक्स्ट इंक ने अपना पहला कंप्यूटर बाजार में उतारा लेकिन बहुत महंगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका फिर नेक्स्ट इंक ने पर्सनल कंप्यूटर बनाया जो बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हुआ। इसके बाद pixer ने एनिमेटेड फिल्म टॉय स्टोरी बनाई जो अभी तक की सबसे बेहतरीन फिल्म है।
एप्पल कंपनी में वापसी
सन 1996 में एप्पल ने स्टीव की pixer को खरीदा इस तरह उनकी एप्पल कंपनी में वापसी हुई। साथ ही वे एप्पल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बन गये। सन 1997 में उनकी मेहनत के कारण कंपनी का मुनाफा बढ़ गया और वे एप्पल के सीईओ बन गए। सन 1998 में उन्होंने आईमेक i-mac को बाजार में लांच किया जो काफी लोकप्रिय हुआ। और एप्पल ने बहुत बड़ी सफलता हासिल कर ली। उसके बाद i-pad, i-phone, i-tune भी लांच किए। सन 2011 में सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया और बोर्ड के अध्यक्ष बने। उस वक्त उनकी प्रॉपर्टी $7.0 बिलियन हो गई थी। और एप्पल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई थी।
मृत्यु
स्टीव को सन 2003 से पेनक्रिएटिव नाम की कैंसर की बीमारी हो गई थी लेकिन फिर भी वे रोज कंपनी में जाते ताकि लोगों को अच्छे से अच्छे टेक्नोलॉजी प्रदान कर सकें। और कैंसर की बीमारी के चलते 5 अक्टूबर 2011 को केलिफोर्निया में उनका निधन हो गया।