20 साल की उम्र में 360 करोड़ की कंपनी बना दी | ritesh agrawal success story in hindi

ritesh agrawal
Ritesh Agrawal

20 वर्ष के युवा उद्यमी रीतेश अग्रवाल ने रोज 16 घंटे काम कर 360 करोड़ से भी ज्यादा की कंपनी की नींव रख दी जिसका नाम oyo rooms है ऐसा कर उन्होंने बड़े बड़े अनुभवी उद्यमियों और निवेशकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया। ओयो रूम्स का मुख्य उद्देश्य ट्रैवलर्स को सस्ते दामों पर बेहतरीन मूलभूत सुविधाओं के साथ देश के बड़े शहरों के होटलों में कमरा उपलब्ध कराना हैं।

रीतेश अग्रवाल की बिजनेस यात्रा

रीतेश अग्रवाल ने बिजनेस के बारे में सोचने और समझने का काम कम उम्र में ही शुरू कर दिया था| इसमें सबसे बड़ी भूमिका उनके पारिवारीक पृष्ठभूमि की थी। उनका जन्म 16 नवम्बर 1993 को उड़ीसा राज्य के जिले कटक बीसाम के एक व्यवसायिक परिवार में हुआ है। बारहवीं तक कि पढ़ाई उन्होंने जिले के ही – Scared Heart School में की। इसके बाद उनकी इच्छा IIT में दाखिले की हुई। जिसकी तैयारी के लिए वे राजस्थान के कोटा आ गए। कोटा में उनके बस दो ही काम थे- एक पढ़ना और दूसरा, जब भी अवकाश मिले खूब ट्रैवल करना। यही से उनकी रूची ट्रैवलिंग में बढ़ने लगी। कोटा में ही उन्होंने एक किताब लिखी – Indian Engineering Collages: A complete Encyclopedia of Top 100 Engineering Collages और जैसा कि पुस्तक के नाम से ही लग रहा है, यह पुस्तक देश के 100 सबसे प्रतिष्ठीत इंजनीयरिंग कॉलेजों के बारे में थी। इस किताब को देश की सबसे प्रसिद्ध ई-कमर्स साईट् Flipkart पर बहुत पसंद किया गया।

16 वर्ष की उम्र में उनका चुनाव मुंबई स्थित Tata Institute of Fundamental Research (TIRF) में आयोजित, Asian Science Camp के लिए किया गया। यह कैम्प एक वार्षिक संवाद मंच है जहां ऐशियाई मूल के छात्र शामिल किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार-विमर्श कर विज्ञान और तकनीक की मदद से उसका हल ढूढ़ा करते हैं। यहां भी वे छुट्टी के दिनों में खूब ट्रैवल किया करते और ठहरने के लिए सस्तें दामों पर उपलब्ध होटल्स (Budget Hotels) का प्रयोग करते। पहले से ही रीतेश की रूची बिज़नेस में बहुत थी और इस क्षेत्र में वे कुछ करना चाहते थे। लेकिन बिज़नेस किस चीज का किया जाए, इस बात को लेकर वे स्पष्ट नहीं थे।

कई बार वे कोटा से ट्रेन पकड़ दिल्ली आ जाया करते और मुंबई की ही तरह सस्तें होटल्स में रूकते ताकि दिल्ली में होने वाले युवा-उद्यमियों के आयोजनों और सम्मेलनों में शामिल होकर नए युवा उद्यमियों और स्टार्ट-अप फाउंडर्स से मिल सके। कई बार इन इवेन्टस में शामिल होने का रजिस्ट्रेशन शुल्क इतना ज्यादा होता कि उनके लिए उसे दे पाना मुश्किल हो जाता। इसलिए कभी-कभी वो इन आयोजनों में चोरी-चुपके जा बैठते! यही वो वक्त था, जब उन्होंने ट्रैवलिंग के दौरान ठहरने के लिए प्रयोग किए गए सस्तें होटल्स के बुरे अनुभवों को अपने बिज़नेस का रूप देने की सोची।

शरुआत Oravel stays से की

वर्ष 2012 में उन्होंने अपने पहले स्टार्ट-अप – Oravel  Stays की शुरूआत की। इस कंपनी का उद्देश्य ट्रैवलर्स को छोटी या मध्य अवधि के लिए कम दामों पर कमरों को उपलब्ध करवाना था। जिसे कोई भी आसानी से ऑनलाइन आरक्षित कर सकता था। कंपनी के शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर उन्हें नए स्टार्टपस में निवेश करने वाली कंपनी VentureNursery से 30 लाख का फंड भी प्राप्त हो गया। अब रितेश के पास अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए प्रर्याप्त पैसे थे। उसी समय-अंतराल में उन्होंने अपने इस बिजनेस आईडिया को Theil Fellowship, जो कि पेपल कंपनी के सह-संस्थापक – पीटर थेल के “थेल फाउनडेशन” द्वारा आयोजित एक वैश्विक प्रतियोगिता है के समक्ष रखा। सौभाग्यवश वे इस प्रतियोगिता में दसवां स्थान प्राप्त करने में सफल रहे और उन्हें फेलोशिप के रूप में लगभग 66 लाख की धनराशि प्राप्त हुई।

बहुत ही कम समय में उनके नये स्टार्टप को मिली इन सफलताओं से वे काफी उत्साहित हुए और वे अपने स्टार्ट-अप पर और बारीकी व सावधानी से काम करने लगे। लेकिन पता नहीं क्यों उनका ये बिजनेस मॉडल आपेक्षित लाभ देने में असफल रहा और “ओरावेल स्टे” धीरे-धीरे घाटे में चला गया। वे परिस्थिति को जितना सुधारने का प्रयास करते, स्थिती और खराब होती जाती और अंत में उन्हें इस कंपनी को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा।

ओर oravel stays का नाम बन गया oyo rooms

रीतेश अपने स्टार्ट-अप के असफल होने से निराश नहीं हुए और उन्होंने दुबारा स्वयं द्वारा अपनाई गई योजना पर विचार करने कि सोची ताकि इसकी कमियों को दूर किया जा सके।

इससे उन्हें यह अनुभव हुआ कि भारत में सस्ते होटल्स में कमरे मिलना या न मिलना कोई समस्या नहीं हैं, दरअसल कमी है होटल्स का कम पैसे में बेहतरीन मूलभूल सुविधाओं को प्रदान न कर पाना। विचार करते हुए उन्हें अपनी यात्राओं के दौरान बज़ट होटल्स में ठहरने के उन अनुभवों को भी याद किया जब उन्हें कभी-कभी बहुत ज्यादा पैसे देने के बाद भी गंदे और बदबूदार कमरें मिलते और कभी-कभी कम पैसों में ही आरामदायक और सुविधापूर्ण कमरे मिल जाते।

इन्हीं बातों ने उन्हें फिर प्रेरित किया कि वे पुनः Oravel Stays में नये बदलाव करे एवं ट्रैवलर्स की सुविधाओं को ध्यान में रख उसे नये रूप में प्रस्तुत करें और फिर क्या था वर्ष 2013 में फिर ओरावेल लॉन्च हुआ लेकिन इस बार बिल्कुल नये नाम और मकसद के साथ। अब ओरावेल का नया नाम Oyo Rooms (ओयो रूम्स) था। जिसका मतलब होता है “आपके अपने कमरे”। ओयो रूम्स का उद्देश्य अब सिर्फ ट्रैवलर्स को किसी होटल में कमरा मुहैया कराना भर नहीं रह गया। अब वह होटल के कमरों की और वहां मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की गुणवता का भी ख्याल रखने लगे और इसके लिए कंपनी ने कुछ मानकों को भी निर्धारित किया। अब जो भी होटल ओयो रूम्स के साथ जुड़ अपनी सेवाएं देना चाहता है। उसे सबसे पहले कंपनी से संपर्क करना होता है। इसके पश्चात कंपनी के कर्मचारी उस होटल में जा वहां के कमरों और अन्य सुविधाओं का निरीक्षण करते है। अगर वह होटल ओयो के सभी मानकों पर खरा उतरता है तभी वह ओयो के साथ जुड़ सकता है, अन्यथा नहीं।

सफलता

• इस बार रीतेश पहले की गलतियों को दुहराना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने एक बिजनेस फर्म – SeventyMM के सीईओ भावना अग्रवाल से मिल बिजनेस की बारिकियों को बेहतरीन ढ़ंग से जानने का प्रयास किया। इन सलाहों ने आगे चलकर उन्हें कंपनी के लिए अच्छे निर्णय लेने में काफी मदद की। प्रारम्भ में ओयो रूम्स को लगातार ग्राहक मिलते रहे इसलिए उन्होंने लगभग दर्जन भर होटलों के साथ समझौता कर लिया।
इस बार रीतेश की मेहनत रंग लाई और सबकुछ वैसा ही हुआ जैसा वे चाहते थे। किफायती दामों पर बेहतरीन सुविधाओं के साथ ट्रैवलर्स को यह सेवा बहुत पसंद आने लगी। धीरे-धीरे ग्राहकों कि मांगो को पूरा करने के लिए कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 2 से 15, 15 से 25 कर दी गई। वर्तमान में ओयो में कर्मचारियों की संख्या 1500 से भी ज्यादा हैं।

• कंपनी के स्थापित होने के एक वर्ष बाद, 2014 में ही दो बड़ी कंपनियों Lightspeed Venture Partners (LSVP) एवं DSG Consumer Partners ने Oyo Rooms में 4 करोड़ रूपये का निवेश किया। वर्तमान वर्ष 2016 में, जापान की बहुराष्ट्रीय कंपनी Softbank ने भी 7 अरब रूपयें का निवेश किया है। जो कि एक नई कंपनी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है।

• आज मात्र 2 वर्षों में Oyo Rooms 15000 से भी ज्यादा होटलो की श्रृंखला (1000000 कमरों) के साथ देश की सबसे बड़ी आरामदेह एवं सस्ते दामों पर लागों को कमरा उपलब्ध कराने वाली कंपनी बन चुकी है। रीतेश अग्रवाल की यह कंपनी भारत के शीर्ष स्टार्ट-अप कंपनियों में से एक हैं। इसी वर्ष कंपनी ने मलेशिया में भी अपनी सेवाएं देना प्रारम्भ कर दिया है और आने वाले समय में अन्य देशों में भी अपनी पहुँच बनाने जा रही है।

• इसी माह (2 July, 2016), प्रतिष्ठीत अंतराष्ट्रीय मैगज़ीन GQ  (Gentlemen’s Quarterly) ने रितेश अग्रवाल को 50 Most Influential Young Indians: Innovators की सूची में शामिल किया है। इस सूची में उन युवा इनोवेटर्स को शामिल किया जाता है जो अपनी नई सोच व विचारों से लोगों की जिंदगी को आसान बनाते है।