हाथ नही थे पर आज हैं दुनिया की पहली लाइसेंस्ड आर्मलेस महिला पायलट | motivational success story in hindi

motivational success story in hindi|जेसिका कॉक्स की सफलता की कहानी

motivational success story in hindi : हेल्लो दोस्तो आज हम आपको jessica cox के सफल जीवन की कहानी success story in hindi बताएंगे कि कैसे उनके दोनों हाथ ना होते हुए भी अपनी हिम्मत और जज्बे व अपनी शारिरिक कमजोरी को हराते हुए एक आर्मलेस महिला पायलट बन गयी हैं। तो चलिए पढ़ते हैं motivational success story in hindi.


motivational success story in hindi of jessica cox | जेसिका कॉक्स के सफल जीवन की प्रेणादयाक कहानी



motivational biography : जेसिका कॉक्स (jessica cox) का जन्म अमेरिका में हुआ था जब वे पैदा हुई तो उनके हाथ नही थे लेकिन पूरा शरीर पूरी तरह से स्वस्थ था। हाथ नही होने के कारण 14 साल की उम्र तक प्रोस्थेटिक, यानी कृत्रिम अंगों का इस्तेमाल करने लगी लेकिन आठवी कक्षा में आने के बाद वे बिना प्रोस्थेटिक अंगों के ही स्कूल जाने लगी। उन्होंने ठान लिया था कि वे जैसी है वैसी ही जीवन मे आगे बढ़ेंगी। लेकिन उनके लिए यह आसन नही था लोगो के सवाल उनको परेशान करते थे लेकिन इससे उनको कोई फर्क नही पड़ता था प्रोस्थेटिक अंगों का इस्तेमाल बन्द करने के बाद अब वे हल्का महसूस कर रहीं थीं।

motivational story in hindi of jessica cox

हाथ ना होने के कारण बचपन मे उन्हें मैदान में बच्चों के साथ खेलने नही दिया जाता था।घर पर ही वह अपने सपनो की दुनिया मे खोई रहती थी जेसिका के पिता को अपनी बेटी की हिम्मत और काबिलियत पर पूरा भरोसा था। माता पिता के साथ ओर विश्वास से जेसिका का खुद पर भरोसा ओर बढ़ने लगा।
उन्होंने बचपन से ही डांस सीखना शुरु कर दिया था। जब उनका पहला परफॉर्मेंस हुआ तो उन्होंने अपनी टीचर से कहा की वे उन्हें पीछे खड़ा कर दे उन्हें लग रहा था कि लोग क्या सोचेंगे लेकिन टीचर ने कहा पीछे की कोई लाइन नही बन रही है उन्हें आगे रहकर ही सबके साथ डांस करना पड़ेगा जैसे ही परफॉर्मेंस खत्म हुआ ऑडियंस ने जेसिका के हौसले ओर हिम्मत को सराहा ओर उनके लिए तालियां भी बजाई उस समय वह 14 साल की ही थी।

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इसके बाद जेसिका के माता पिता की मुलाकात उनके ताइक्वांडो टीचर से हुई। जब उनके माता पिता ने ताइक्वांडो इंस्ट्रक्टर को जेसिका के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि वे बहुत ही खास बच्ची है ओर वह ओर भी अच्छा कर सकती है अगर वो अपने आप को किसी से कम नही समझे तो। 14 साल की उम्र में ही जेसिका ने international ताइक्वांडो में अपनी पहली ब्लैक बेल्ट जीती थी।
एक दिन नॉन प्रोफिट ग्रुप के एक सदस्य ने जेसिका से पूछा की क्या वे हवाई जहाज़ उड़ाना चाहेंगी? तो उनका जवाब था हाँ। इसके बाद जेसिका ने तीन साल तक खूब मेहनत की ओर आखिरकार पायलट का लाईसेन्स पा लिया। पायलट की ट्रैनिंग 6 माह की होती है लेकिन जेसिका को तीन साल तक ट्रेनिंग की जरूरत थी। अपनी दिन रात की मेहनत से 80 घण्टे की ट्रेनिंग को पूरा किया ओर उन्हें जल्द ही पायलट लाइसेन्स भी मिल गया। वे ताइक्वांडो में पहली आर्मलेस ब्लैकबेल्ट है। साथ ही वे जिम्नास्टिक, स्विमिंग, ओर डांसिंग भी करती है।
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उन्होंने अपनी पहली ब्लैक बेल्ट तब जीती थी जब वे 7वी कक्षा में थी वे एक मोटिवेशनल स्पीकर भी है ओर समंदर की गहराईयों में डुबकी लगाने वाली एक बेहतरीन स्कूबा डाइवर भी है वे आम लोगो की तरह ही कार चलाती व पियानो भी बजाती हैं वे अपने कॉन्टेक्ट लैंस खुद ही हटाती व लगती भी है। यह सब काम वे अपने पैरों से करती हैं वे बिना हाथों के कैसे पैदा हुई इस बात को डॉक्टर भी नही समझ पाए लेकिन जेसिका ने वह कर दिखाया जो आम व्यक्ति के लिए आसान नही है। उन्होंने ज़िन्दगी की जंग पैरों के सहारे लड़ी ओर जीती भी  वे कहती है आप जैसा सोचते है उसी का प्रभाव आपकी ज़िंदगी पर पड़ता है ना कि किसी शारिरीक कमी का।
आज जेसिका का नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया की पहली आर्मलेस पायलट के रूप में दर्ज है।
इनके जीवन से मिली सीख
• जब हम कहते है ‘हम यह नही कर सकते’ तभी हम खुद को असफलता के लिए तैयार कर लेते हैं।
• हम अपने डर खुद ही बनते हैं और इसलिए इन्हें खुद ही खत्म कर सकते हैं।
• अगर आप चैम्पियन हैं तो असफल होने पर बहाने नही बनाएंगे।