हिंदी कहानी भैंस चराने वाला गरीब आदमी – Hindi moral story
जैसे ही दरवाजा खुला अंदर से एक आदमी निकला उसके साथ उसकी पत्नी भी निकली और 3 बच्चे भी निकले सभी ने फटे पुराने कपड़े पहने थे गुरु ने बहुत ही विनम्र आवाज से पूछा क्या हमें पानी मिल सकता है? आदमी ने गुरु को पानी दिया और गुरु पानी पीते पीते बोले, मैं देख रहा हूं आपका खेत इतना बड़ा है पर इसमें कोई फसल नहीं बोई गई है आखिर आप लोग अपना गुजारा कैसे चलाते हैं? आदमी बोला हमारे पास एक भैंस है वह काफी अच्छा दूध देती है दूध बेचकर हमें कुछ पैसे मिल जाते हैं और बचे हुए दूध का सेवन करते हैं हमारा गुजारा ऐसे ही चलता रहता है, शाम होने आई थी काफी देर भी हो गई थी वह गुरु और शिष्य ने सोचा आज की शाम हम यहीं पर विश्राम करेंगे उन्होंने उस आदमी से अनुमति ली और वह दोनों वहीं पर रुक गए।
गुरु ने अपने शिष्य को आधी रात में उठाया और धीरे से उसके कानों में बोला चलो हमें अभी यहां से निकलना है और चलने से पहले उनकी जो भैंस है उसे हमें कहीं जंगल में ले जाकर छोड़ देना है। शिष्य को गुरु की बात पर जरा सा भी यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि जिस गुरु से उन्होंने बहुत सारी अच्छी चीजें सीखी थी आज वही गुरु किसी का बुरा करने का बोल रहे थे फिर भी वह उसके गुरु है और गुरु की बात को वह मना नहीं कर सकता था आखिर में गुरु और शिष्य जंगल की ओर निकल पड़े और भैंस को ऐसी जगह छोड़ दिया जहां से आना मुश्किल था। यह घटना शिष्य के मन में बैठ गई थी और 10 साल के बाद वह एक बड़ा गुरु बना तब उसने सोचा क्यों ना अपनी गलती को सुधार लिया जाए और अपनी गलती को सुधारने के लिए उस आदमी से मिला जाए और उस आदमी की आर्थिक मदद की जाए जिससे कि वह उसकी आगे आने वाली जिंदगी खुशहाल तरीके से जी सकें।
और वह निकल पड़ा उस आदमी की मदद के लिए कुछ दूर चलने के बाद वह उसी जगह पहुंच गया जहां वह आदमी रहता था। और इस बार भी वह चोंक गया, उसने देखा बहुत बड़े-बड़े से फल के पेड़ लगे हुए हैं और एक बड़ा सा घर बना हुआ है, शिष्य को एक बार लगा कि शायद भैंस के चले जाने के बाद वह परिवार घर छोड़कर चला गया होगा इसलिए वह वापस लौटने लगा तभी उसने वह आदमी को देखा।
शिष्य बोला शायद आप मुझे नहीं पहचानते, लेकिन मैं आपको सालों पहले मिला था उस आदमी ने मायूसी से बोला हां, हां कैसे भूल सकता हूं, उस दिन आप लोग तो बिना बताए ही चले गए पर उस दिन ना जाने क्या हुआ और जो मेरी भैंस थी वह पता नहीं कहां चली गई और आज तक नहीं लौटी। कुछ दिनों तक तो हमें समझ ही नहीं आया कि क्या करना चाहिए और मैं क्या कर पाऊंगा लेकिन जीने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही था तो लकड़ियां काटकर मैंने बेचना शुरू किया और उससे कुछ पैसे मैंने इकट्ठा किए और जो भी मेरे पास पैसे थे उससे मैंने अपने खेतों में फसल उगाई, आखिर मुझे अपनी मेहनत का फल मिला और मेरी फसल बहुत ही अच्छी निकली बेचने पर जो मुझे पैसा मिला उससे मैंने फलों के बगीचे लगवा दिए यह काम बहुत ही अच्छा चल पड़ा और इस समय आस-पास के गांव में सबसे बड़ा फल का व्यापारी में ही हूं। सचमुच यह सब कुछ ना होता अगर वह भैंस ना चली गई होती क्योंकि उसी के कारण मैं लाचार था और उसी के कारण में कोई और काम नहीं कर पा रहा था उसके जाने से मैंने तुरंत नए रास्ते निकाले जिससे मैं पैसे कमा सकता था और आज मैं बहुत ही बड़ा व्यापारी बन गया हूं।
शिष्य बोले लेकिन यह काम तो आप पहले भी कर सकते तो आदमी बोला कर तो सकता था लेकिन तब मेरी जिंदगी बिना मेहनत के ही चल रही थी मुझे कभी लगा ही नहीं कि मेरे अंदर भी इतना कुछ करने की क्षमता है तो कभी कोशिश ही नहीं की मैंने। लेकिन जब मेरी भैंस चली गई तब मुझे एहसास हुआ कि मैं दूसरा भी काम कर सकता हूं जिससे मैं अच्छा खासा पैसा कमा सकता हूं और मेरी पत्नी और बच्चे को इससे भी अच्छी जिंदगी दे सकता हूं इसलिए मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही था और तब मैंने ठान लिया था कि अब मैं जो भी करूंगा पूरी मेहनत के साथ करूंगा और अपने दम पर करूंगा और आज इसीलिए मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं।
कहानी से मिली सीख
तो दोस्तों कहीं आपकी जिंदगी में भी कोई ऐसी भैंस तो नहीं जो आपको एक बेहतर जिंदगी जीने से रोक रही है कुछ ओर उसने आप को बांधकर तो नहीं रखा है अगर आपको लगे कि ऐसा है तो आगे बढ़ो उस रस्सी को काटो आजाद हो जाओ आपके पास खोने के लिए बहुत कम चीज है पर अगर आप सक्सेसफुल हो जाएंगे तो पाने के लिए पूरा जहान है आपके पास। तो जाइये और उस चीज के लिए मेहनत कीजिए और उसे पाकर ही दिखाइए।
अच्छी शिक्षाप्रद कहानी।