कम बोलने वाले लोग कैसे होते हैं उनकी खासियतें | kam bolne wale log kaise hote hai
एक रिसर्च के मुताबिक 50% लोग कम बोलना पसंद करते हैं वह इंट्रोवर्ट(अंतर्मुखी) होते हैं। हम सभी को बचपन से ही सिखाया जाता है कि हमें ज्यादा बोलना चाहिए हमें एक एक्सट्रोवर्ट(बहिर्मुखी) की तरह व्यवहार करना चाहिए और इसी के चलते कम बोलने वाले लोग खुद पर प्रेशर डालते हैं और ज्यादा बोलने की कोशिश करते हैं और फिर यहीं पर होती है उनसे गलतियां और वह अपनी पूरी क्षमता के अनुसार अपना काम भी नहीं कर पाते।
लेखक carl jung ने सबसे पहले दुनिया में इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्टेड जैसे शब्द का प्रयोग किया था। carl jung के मुताबिक ना ही कोई हंड्रेड परसेंट इंट्रोवर्ट होता है और ना ही कोई हंड्रेड परसेंट एक्सट्रोवर्ट होता है उनका मानना है कि इंसान परिस्थितियों के मुताबिक कभी इंट्रोवर्ट तो कभी एक्सट्रोवर्ट की तरह व्यवहार करता है। जो इंसान ज्यादातर सिचुएशन में इंट्रोवर्ट की तरह व्यवहार करता है तब उसे इंट्रोवर्ट कहा जा सकता है अगर आप भी कम बोलते हो और आपको लगता है कि कम बोलना शायद आपकी कमजोरी है तो आपकी सोच बिल्कुल गलत है क्योंकि कम बोलने का मतलब यह नहीं होता कि आप कम सोचते हो या फिर आप कम इंटेलिजेंट हो कम बोलने का मतलब यह होता है कि आप समझदार हो और सिचुएशन को अच्छे से समझते हो।
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अपनी किताब Quit में Susan Cain ने कहा है कि इंट्रोवर्ट होना कमजोरी नहीं है इंट्रोवर्ट होने के बहुत सारे लाभ हो सकते हैं कम बोलने वाले लोग किसी भी काम को बहुत देर तक धैर्य के साथ कर सकते हैं इसके अलावा यह लोग काफी क्रिएटिव होते हैं।
साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन भी इंट्रोवर्ट थे और सिंगर ए आर रहमान की इंट्रोवर्ट ही है। आइंस्टाइन ने तो यह भी कहा था कि मेरे पास कोई खास टैलेंट नहीं है लेकिन मैं किसी भी प्रॉब्लम को देर तक सॉल्व कर सकता हूं। तो आज हम जानने वाले हैं कम बोलने वाले लोगों की खासियतें।
1.) कम बोलने वाले काफी समझदार होते हैं।
क्योंकि कम बोलने वाले लोग चुपचाप बैठ कर सामने वाले की बात को अच्छे से सुनते हैं और फिर उसके ही अनुसार उनको जवाब देते हैं। आज के समय में लोग दूसरों को सुनना ही नहीं चाहते कोई आम इंसान हो गया बड़ा लीडर सब अपने मन की बात कहना चाहते हैं। दूसरों की बात किसी को सुनना ही नहीं । तो अगर ऐसे माहौल में आप दूसरों की बातों को ध्यान से सुनते हो तो सामने वालों को भी लगता है कि आप एक समझदार इंसान हो और फिर वह सोचता है की यह व्यक्ति कितना अच्छा है, कोई तो मिला जो मेरी बात सुन रहा है नहीं तो सब तो बस सुनाने में ही लगे हैं। Kate Murphy ने अपनी किताब You are not listening में बहुत सारे एग्जांपल बताए हैं कि सुनने से कैसे लोगों को बड़े बड़े फायदे हुए हैं।
2.) कम बोलने वाले लोग काफी इंटेलिजेंट होते हैं।
क्योंकि उन्हें कम से कम शब्दों में दूसरे के सामने अपनी बात पेश करना आता है इनमें घुमा फिरा कर बात करने की आदत नहीं होती। कुछ भी बोलते रहने वालों को बार-बार एक ही बात करने वाले लोगों को लोग हल्के में लेना शुरू कर देते हैं कम बोलने वाले लोग ऐसी कोई बात नहीं करते जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़े।
3.) कम बोलने वाले लोग दिल के काफी अच्छे होते हैं।
ऐसे लोग काफी अच्छे दोस्त साबित हो सकते हैं क्योंकि इनके पास वह क्वालिटी होती है जो कि यह लोग सामने वाले की बात को अच्छे से सुनकर और समझ कर उसके अनुसार जवाब दे सकें। अब्राहम लिंकन ने कहा था चुप रहकर दूसरों की नजरों में बेवकूफ बना रहना ज्यादा अच्छा है बजाए इसके की कुछ भी बोल कर खुद को बेवकूफ साबित करना। अब इसका मतलब यह नहीं कि हमेशा चुप ही रहा जाए। बिना सोचे समझे बिना किसी पूरी जानकारी के बोलना आसान है ऐसा बड़े-बड़े लीडर्स कर लेते हैं लेकिन ऐसा करने से आप जितने इंटेलिजेंट हो उससे कम नजर आते हो। बेहतर यही है कि बिना पूरी जानकारी के आप कुछ भी मत बोलो बस सुनो और फिर जब पूरी बात सुनने के बाद आप बोलोगे तो आपकी बात सुनी जाएगी और आप गलतियां भी कम करोगे और आप जितने इंटेलिजेंट हो उतने नजर आओगे।
4.) यह लोग काफी सब्र वाले होते हैं।
ऐसे लोगों के पास धैर्य काफी होता है। कई लोग ऐसे होते हैं जो कि सफल ना होने पर हताश होने लगते हैं और बहुत जल्द हार मान लेते हैं। लेकिन कम बोलने वाले लोग कभी भी हार कर निराश नहीं होते उनके अंदर काफी धैर्य होता है और इसलिए वह किसी भी काम को अधूरा नहीं छोड़ते, कम बोलने वाले लोग बोलने में नहीं काम को करने में ज्यादा विश्वास रखते हैं। वह कभी भी अपना समय खराब नहीं करते।
5.) यह लोग समय खराब करने वाली बहस में नहीं पड़ते।
कभी भी आपको ऐसा नजर नहीं आएगा कि कोई कम बोलने वाला इंसान किसी दूसरे से बहस कर रहा है क्योंकि बहस तभी होती है जब सामने वाले इंसान से कोई फालतू बात बोले या ऐसा बोले जो सामने वाले इंसान को हर्ट कर दे कम बोलने वाले लोगों की आदत होती है कि न ही वह किसी से फालतू बात करते हैं और ना ही कुछ ऐसा करते हैं कि दूसरा हर्ट हो तो आप उन्हें फालतू की बहस में बहुत ही कम देखोगे।
6.) कम बोलने वाले लोग कभी भी अकेले रहने से डरते नहीं।
यह लोग ज्यादातर समय खुद के साथ ही बिताते हैं यानी कि यह लोग ज्यादातर समय इस तरह बिताते हैं कि वह खुद को और अपने आसपास की चीजों को इंप्रूव कर सकें इंट्रोवर्ट पर्सनालिटी वाले लोगों को पता होता है कि उनकी आईडेंटिटी सबसे अलग है।
7.) इन लोगों का फोकस बहुत अच्छा होता है।
दुनिया में आज तक जितने भी सक्सेस बिजनेसमैन और साइंटिस्ट हुए उनमें से ज्यादातर लोग सारे तो नहीं लेकिन ज्यादातर लोग इंट्रोवर्ट हैं। इंसान में क्रिएटिव थिंकिंग तभी डिवेलप होती है जब इंसान अपने आसपास की चीजों से ध्यान हटाकर खुद पर और अपनी क्षमताओं पर फोकस करता है। कम बोलने वाले लोगों को यह चीज बहुत अच्छे से आती है। उन्हें पता होता है कि किस तरह से चीजों पर फोकस करके उस काम में अपना बेस्ट देना है।
8.) यह लोग काफी समझदारी वाली बातें करते हैं।
जब भी आप किसी कम बोलने वाले की बात सुनेंगे तो आपको लगेगा कि वह काफी सोचने और समझने के बाद किसी इंसान के सामने अपनी बात रख रहा है। एक इंसान जो बहुत ज्यादा बोलता है सभी लोग उसके ज्यादा बोलने से परेशान रहते हैं इसलिए वह जब भी कोई काम की बात भी बोलता है तो लोग उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते।
एक व्यक्ति और जो बहुत कम बोलता है तो जब भी वह कोई बात बोलता है तो सब उसकी बात को काफी ध्यान से सुनते हैं भले ही उसने कोई खास बात नहीं कही हो। सोशियोलॉजी प्रोफेसर Charles derber कहते हैं कि कम्युनिकेशंस में दो सिस्टम होते हैं स्विफ्ट सिस्टम और रिस्पांस सिस्टम।
मान लो कोई व्यक्ति आपको उसकी कोई प्रॉब्लम बता रहा है तो आप उसकी प्रॉब्लम को अपने जीवन के किसी प्रॉब्लम से रिलेट करके उसे कुछ बता रहे हो तो इसे स्विफ्ट सिस्टम कहते हैं। लेकिन जब आप उसकी प्रॉब्लम को सुनकर उसे रिस्पांस कर रहे हो तो इसे कहते हैं सपोर्ट रिस्पांस सिस्टम कहते हैं। ज्यादातर लोग स्विफ्ट सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं लेकिन जो अच्छी तरह से बात सुनने वाले लोग होते हैं वह सपोर्ट रिस्पॉन्स सिस्टम का उपयोग करते हैं यह ध्यान में रखते हुए कि सामने वाले को यह फील ना हो कि आप कोई फॉर्मेलिटी निभा रहे हो। अच्छे से सुनने वाला हमेशा यही कोशिश करता है की वह अच्छी तरह से कैसे सामने वाले की मदद करे।
तो अगर आपके मन में भी यह बातें आती हों कि इंट्रोवर्ट पर्सनालिटी वाले लोग कमजोर, नासमझ या आसामाजिक होते हैं तो आप भी यह सब बातें अपने दिमाग से निकाल कर अलग कर दो, क्योंकि इंट्रोवर्ट लोगों की अपनी अलग पहचान होती है अपनी खूबी होती है और अपनी क्षमता होती है। अगर आप खुद एक इंट्रोवर्ट इंसान हो तो आपको समाज से अलग महसूस करने की कोई जरूरत नहीं आपको पता होना चाहिए कि इंट्रोवर्ट होना आपकी ताकत है और आपकी इस ताकत को आपको सक्सेस में बदलना है इंट्रोवर्ट होना आपकी खासियत है कमजोरी नहीं😊