रामायण के 36 अनमोल विचार | Ramayana Quotes In Hindi
रामायण के अनमोल विचार | Ramayana Quotes In Hindi
●•● उन बादल की गरजन जो पहले ही अपना सारा पानी ख़त्म कर चुके हों कोई वर्षा उत्पन्न नहीं करती. लेकिन जो वास्तव में वीर होते हैं वे बेकार में गर्जना नहीं करते, वे अपनी वीरता मैदान में दिखाते हैं।
– रामायण
●•● दुःख व्यक्ति का साहस ख़त्म कर देता है. वह व्यक्ति की सीख ख़त्म कर देता है. हर किसी का सबकुछ नष्ट कर देता है. दुःख से बड़ा कोई शत्रु नही है।
– रामायण
●•● उत्साह में बड़ी शक्ति है. उत्साह से अधिक और कोई शक्ति नहीं है. इस दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो एक उत्साही व्यक्ति ना प्राप्त कर सके।
– रामायण
●•● अपना जीवन त्याग देना कोई अच्छा फल नहीं देता, जीना जारी रखना आनंद और प्रसन्नता का मार्ग है।
– रामायण
●•● जैसे कमल के पत्तों पर पड़ी पानी की बूँदें पत्तों से नहीं चिपकतीं, उसी प्रकार चरित्रहीन व्यक्तियों से होने वाली मित्रता होती है।
– रामायण
●•● गलती करना मानव का स्वभाव है, ऐसा कोई भी नहीं है जिसने कभी कोई गलती ना की हो।
– रामायण
●•● क्रोध वो शत्रु है जो व्यक्ति का जीवन ख़त्म कर देता है. क्रोध मित्र के चेहरे वाला शत्रु है. क्रोध एक तेजधार तलवार की तरह है. क्रोध सबकुछ नष्ट कर देता है।
– रामायण
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●•● वे जो हेमशा सच्चाई का पालन करते हैं गलत वचन नहीं देते. अपना वचन निभाना, निश्चित रूप से एक महान व्यक्ति की निशानी है।
– रामायण
●•● सौंदर्य चंद्रमा को छोड़ सकता है, हिमवान बिना बर्फ के हो सकता है, समुद्र अपनी सीमाओं का उल्लंघन कर सकता है लेकिन मैं कभी भी अपने पिता के दिए वचन को नहीं तोड़ सकता।
– रामायण
●•● दूसरों की संपत्ति को चोरी करना, किसी अन्य की पत्नी की लालसा करना और मित्रों की ईमानदारी और चरित्र पर शक करना – ये तीनों व्यक्ति को विनाश तक ले जाते हैं।
– रामायण
●•● जो क्रोधित है वह इसमें अंतर नहीं कर सकता कि क्या बोला जा सकता है औ क्या बोलने के अयोग्य है. ऐसा कोई अपराध नहीं है जो क्रोधित व्यक्ति नहीं कर सकता. ऐसा कुछ भी नहीं है जो वो नहीं बोल सकता।
– रामायण
●•● उदास, निराश या हतोत्साहित ना होना हर तरह की समृद्धि और ख़ुशी का आधार है।
– रामायण
●•● हमेशा प्रसन्न रहना कुछ ऐसा है जिसे प्राप्त करना कठिन है. कहने का अर्थ है, प्रसन्नता और दुःख किसी के जीवन में आते-जाते रहते हैं और ऐसा नही हो सकता ही कि लगातार सिर्फ प्रसन्नता ही बनी रहे।
– रामायण
●•● किसी भी नेक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक हैं : उदास व दुखी न होना , अपने कर्तव्य पालन की क्षमता, अथवा कठिनाइयों का बल पूर्वक सामना करने की क्षमता।
– रामायण
●•● सत्यवादी व्यक्ति कभी झूठे वचन नहीं देते। दिए हुए वचन का पालन करना ही उनकी महानता का चिंह होता है।
– रामायण
●•● उदासी अत्यंत बुरी चीज होती है। हमें कभी भी अपने मस्तिष्क का नियंत्रण उदासी के हाथ में नहीं देना चाहिये। उदासी एक व्यक्ति को उसी प्रकार मार डालती है, जैसे कि एक क्रोधित साँप किसी बच्चे को।
– रामायण
●•● किसी भी व्यक्ति की वास्तविक स्थिति का ज्ञान उसके आचरण से होता हैं।
– रामायण
●•● पतिव्रता स्त्री के आँसू धरती पर बेकार नहीं गिरते, वे उनका विनाश करते हैं जिनके कारणवश वे आँखों से बहार निकलें।
– रामायण
●•● वीर व बलवान पुरुष क्रोधित नहीं होते।
– रामायण
●•● बोलने से पहले शब्द मनुष्य के वश में होते हैं, परन्तु बोलने के बाद मनुष्य शब्दों के वश में हो जाता है।
– रामायण
●•● इस दुनिया में दुर्लभ कुछ भी नहीं है, अगर उत्साह का साथ न छोड़ा जाए।
– रामायण
●•● सभी का चेहरा उनकी अंदरूनी विचारधाराओं व भावनाओं का दर्पण होता हैं। इन विचारधाराओं व भावनाओं को छुपाना लगभग असम्भव होता हैं और देखने वाला उन्हें भाँप सकता हैं।
– रामायण
●•● बड़े कहते हैं कि विद्वानों व बुद्धिमानों से परामर्श ही विजय का आधार होता हैं।
– रामायण
●•● अच्छे लोगों की संगति में बुरे से बुरा मनुष्य भी सही आचरण करने लगता है।
– रामायण
●•● जो व्यक्ति निरंतर शोक करते रहते हैं, उन्हें जीवन में कभी सुख नहीं मिलता।
– रामायण
●•● अभिमानी व्यक्ति, चाहे वह आपका गुरु, पिता व उम्र अथवा ज्ञान में बड़ा भी हो, उसे सही दिशा दिखाना अति आवश्यक होता हैं।
– रामायण
●•● माता-पिता की सेवा और उनकी आज्ञा का पालन जैसा दूसरा धर्म कोई भी नहीं है।
– रामायण
●•● संतोष नंदन वन है तथा शांति कामधेनु है। इस पर विचार करो और शांति के लिए श्रम करो।
– रामायण
●•● जान बुझ के मौत के मुंह में जाने वाले को कोई भी अच्छी राय न तो सुनाई देती हैं और न ही भाती है।
– रामायण
●•● अतिसंघर्ष से चंदन में भी आग प्रकट हो जाती है, उसी प्रकार बहुत अवज्ञा किए जाने पर ज्ञानी के भी हृदय में भी क्रोध उपज जाता है।
– रामायण
●•● परिस्थितियाँ हमारे लिए समस्या नहीं बनती हैं समस्या तो तब बनती है जब हमें परिस्थितियों से निपटना नहीं आता।
– रामायण
●•● जो यौवन विनय से विभूषित तथा कृपालुता जैसे गुणों से प्रोज्जवल है, वही यौवन सुंदर है।
– रामायण
●•● उत्साह हीन, निर्बल व दुःख में डूबा हुआ व्यक्ति कोई अच्छा कार्य नहीं कर सकता। अतः वह धीरे धीरे दुःख की गहराइयों में डूब जाता हैं।
– रामायण
●•● जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढकर है।
– रामायण
●•● बच्चों के लिए उस कर्ज को चुकाना मुश्किल है जो उनके माता-पिता ने उन्हें बड़ा करने के लिए किया है।
– रामायण
●•● केवल डरपोक और कमजोर ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं लेकिन जो मजबूत और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही करते।
– रामायण
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