गंगूबाई काठियावाड़ी कौन थीं, जीवन परिचय बायोपिक | Gangubai Kathiwadi biography in hindi

गंगूबाई काठियावाड़ी कौन थीं, जीवन परिचय बायोपिक (Gangubai Kathiawadi biography real life story in hindi, age, release date, movie biopic, husband’s name)


गंगूबाई काठियावाड़ी कौन थीं, जीवन परिचय बायोपिक (Gangubai Kathiawadi biography real life story in hindi

Gangubai Kathiawadi Real Life Story, Biography In Hindi


हमारे देश में पहले ऐसे कई लोग हुए जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में काफी संघर्ष किया, विपरीत परिस्थितियों में जीवन जीने के बाद भी अपनी ज़िंदगी बदली लेकिन सभी लोगों की कहानी हमारे सामने नही आ पाती। एक ऐसी महिला जिसने अपने जीवन में बहुत दयनीय स्थिति देखी और एक वेश्या के रूप में मशहूर हुई। एक ऐसी कहानी जो आज तक किसी ने शायद ही सुनी हो वह बॉलीवुड के बड़े पर्दे पर नजर आने वाली है। जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं गंगूबाई काठियावाड़ी की जिन्हें अपने जमाने में कई नामों से जाना जाता था।


गंगूबाई काठियावाड़ी का जीवन परिचय | Gangubai kathiawadi biography in hindi


पूरा नाम (Full Name) – गंगा हरजीवन दास काठियावाड़ी

निक नाम (Nick Name) – गंगा, गंगूबाई

पेशा (Profession) – माफिया रानी, कोठा चलाना

जन्म (Birth) – 1939

मृत्यु (Death)

जन्म स्थान (Birth Place) – काठियावाड़, गुजरात

राष्ट्रीयता (Nationality) – भारतीय

गृहनगर (Hometown) – काठियावाड़

पसंद (Hobbies) – आभिनेत्री बनना

शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification) – 12वी

वैवाहिक स्थिति (Marital Status) – मैरिड

पति का नाम (Husband’s name) – रमणीक


कौन थी गंगूबाई काठियावाड़ी


ऐसा कहा जाता है कि गंगूबाई पहली ऐसी महिला थी जो 60 के दशक में डॉन की तरह रहा करती थी उनसे कोई भी पंगा लेने से पहले सौ बार सोचा करता था गुजरात के एक सम्मानित परिवार की इकलौती बेटी गंगूबाई काठियावाड़ थी। जिन्हें आगे चलकर उनके जीवन की कठिन परिस्थितियों ने अपराधी, डॉन, एक वेश्या, बिजनेस वूमेन बना दिया। गंगूबाई का जन्म 1939 में हुआ था और असली नाम गंगा हरजीवनदास था जो गुजरात के काठियावाड़ में रहती थी। गंगूबाई का परिवार बड़ा ही सम्पन्न परिवार था, लेकिन गंगा के सपने कुछ और थे।


गंगूबाई काठियावाड़ी का शुरुआती, प्रारंभिक जीवन | Gangubai kathiawadi real life story in hindi


गंगूबाई का जन्म गुजरात के काठियावाड़ में 1939 में हुआ था। वे हमेशा से ही हीरोइन बनने का सपना देखा करती थी और मुंबई जाने की बातें किया करते थे। गंगूबाई के परिवार के सदस्य बेहद सम्मानजनक परिवार के थे। जो बेटियों को पढ़ा लिखा कर भविष्य में आगे बढ़ाने में विश्वास रखते थे। गंगूबाई उनके परिवार की इकलौती बेटी थी जिसे वे पढ़ा लिखा कर कुछ बनाना चाहते थे, परंतु गंगूबाई की दिलचस्पी पढ़ाई में नहीं बल्कि सिनेमा और फिल्मों में ज्यादा थी।


एक रमणीक नाम का व्यक्ति गंगूबाई के पिता के पास लेखा जोखा देखने का काम करता था। रमणीक लाल पहले बॉम्बे में भी रह कर आ चुका था।


गंगा पढ़ाई में होशियार होने के साथ-साथ अपने मन में एक सफल अभिनेत्री का सपना पाले हुए थी। उसे बस कैसे भी करके बॉम्बे जाना था और अपना सपना पूरा करना था। जैसे ही उसे ये पता चला कि उसके पिता ने एक नया बाबू रखा है और वो बॉम्बे भी रह चुका है तो उसके मन में रमणीक लाल से दोस्ती करने का विचार आया। गंगूबाई की दोस्ती धीरे-धीरे रमणीक के साथ हो गई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई।


प्रेमी ने ही 500 रुपये में बेच दिया, फिर शुरू हुआ गंगा से गंगूबाई तक का सफर


मात्र 16 साल की उम्र में वे रमणीक के साथ घर से भाग गई और मंदिर में जाकर उन दोनों ने आपस में शादी कर ली। रमणीक और गंगूबाई दोनों गुजरात से मुंबई जा पहुंचे और वहां पर एक साथ रहने लगे बॉम्बे यह ही वो जगह जहाँ गंगा अपना सपना पूरा करने के लिए कब से आना चाहती थी और वो शादी करके बॉम्बे में थी, उसे यकीन नहीं हो रहा था। गंगा को अपने पति का चेहरा धीरे-धीरे साफ दिखाई देने लगा था, क्योंकि उनके बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा होता रहता था।


रमणीक ने केवल 500 रुपयों में अपनी पत्नी गंगा को मुंबई के एक मशहूर स्थान रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा के एक कोठे वाली को बेच देता है।


रमणीक गंगा को कहता है कि काम ढूँढने के लिए बॉम्बे से बाहर जा रहा है इसलिए कुछ दिन वो अपनी मौसी के साथ उनके घर पर रहना, काम मिलने के बाद मैं तुझे मौसी के घर से ले जाऊंगा।  गंगूबाई नहीं जानती थी रमणीक ने उसे जिसके हाथों सौंप रहा है वह मुंबई के मशहूर स्थान कमाठीपुरा रेड लाइट एरिया की एक कोठे वाली है।


मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में जब गंगूबाई  सबसे अनजान थी, उस समय उसने अपनी परिस्थितियों से समझौता भी किया था. तब वहां पर एक वहशी दरिंदा जिसका नाम शौकत खान था उसने गंगूबाई के साथ जबरदस्ती की और पूरी रात उसको इस कदर नोच खाया कि उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई। फिर शौकत खान गंगूबाई को बिना पैसे दिए ही वहां से चला गया। 


पहली बार तो गंगा को कुछ समझ नहीं आया लेकिन दूसरी बार भी जब उसके साथ जबरदस्ती करी तो उसने ठान लिया कि वो शौकत खान को सजा दिलवा कर रहेगी। अपने आस-पास से पता किया तो उसे उसका नाम और उसके मालिक करीम लाला का नाम मालूम हुआ। करीम लाला के अड्डे पर पहुँच कर न्याय की गुहार की, पहली बार किसी महिला ने करीम लाला से ऐसे बेखौफ हो कर न्याय की मांग की थी।


करीम लाला ने उसे आश्वाशन दिया कि अगली बार शौकत आए तो मुझे बताना मैं उसका इलाज कर दूँगा। इस आश्वाशन पर गंगा ने करीम लाला के हाथ में एक धागा बाँध कर उसे अपना भाई बना लिया। तीसरी बार जब शौकत कोठे पर आया तो करीम लाला भी खबरी की खबर सुनकर पहुँच गया था, करीम ने शौकत को इतना मारा कि वो अधमरा हो गया।

साथ में ये ऐलान कर दिया कि गंगू मेरी मुँह बोली बहिन है इसके साथ किसी ने भी आज के बाद जबरदस्ती की तो अपनी जान गंवा बैठोगे। उस घटना के बाद से गंगू ‘गंगूबाई’ बन गई।


➡ मुंबई डॉन करीम लाला का जीवन परिचय, कहानी


गंगूबाई का दबदबा इतना हो गया कि कमाठीपुरा का वो कोठा उसके नाम कर दिया गया। फिर अपने दबंग अवतार के साथ उसने कोठे में काम करने वाली वेश्याओं के लिए बहुत सारे अच्छे काम किये। गुंडे उस कोठे में आने से डरने लगे थे। वेश्याओं के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिया। बिना अपनी मर्जी के आई लड़कियों को वो अपने कोठे में नहीं रखती थी।


कोठे पर रहने वाली लड़कियों के लिए गंगूबाई ‘गंगूमाँ’ थी, उनके हक की बात करने के लिए उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से भी मिली थी।


गंगूबाई का इतना दबदबा हो चुका था कि कमाठीपुरा में कोई भी काम उसके पूछे बिना नहीं होता था, मतलब कि कोई भी छोटा सा काम करने के लिए उसके कोठे तक आना पड़ता था।


इसी धाक को भुनाने के लिए उसे किसी ने राजनीति में उतरने को कहा उसका भाषण सुनने के लिए पूरा आजाद मैदान भर गया था और 1960 के सभी अखबारों के फ्रंट पेज पर उनके भाषण का कवरेज था। भाषण भी दमदार दिया था, उस भाषण से पूरा बॉम्बे थर्रा गया था।


गंगूबाई काठियावाड़ी की मृत्यु (Death of Gangubai Kathiawadi)


कहा जाता है कि गंगूबाई की मृत्यु साधारण तरीके से ही हुई थी लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और जब इनकी मौत हुई थी तब पूरे भारत के कोठों में मातम छा गया था। वेश्यालय वाले आज भी इन्हें अपना भगवान मानते हैं आज भी हर कोठे में इनकी तस्वीर मिलेगी।


गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म की जानकारी, रिलीज डेट (Gangubai Kathiawadi Movie Cast and new Release Date)


संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बन रही गंगूबाई काठियावाड़ी काफी लंबे समय से चर्चा में है। पिछले साल नवंबर में फिल्म की रिलीज डेट 18 फरवरी 2022 तय की गई थी, हालांकि कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए इसकी रिलीज डेट टाल दी गई इस फ़िल्म की नई रिलीज़ डेट 25 फरवरी 2022 बताई जा रही है। इस फिल्म में आलिया भट्ट गंगूबाई का किरदार निभा रही हैं। आलिया फिल्मों में दमदार किरदार निभाती हैं, लेकिन पहली बार वो डॉन के किरदार में नजर आने वाली हैं। काफी पहले इस फिल्म का ट्रेलर भी रिलीज हो चुका है।


गंगुबाई काठियावाड़ी फ़िल्म विवाद


संजय लीला भंसाली इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं. साथ ही साथ इस फिल्म का निर्माण भी वही कर रहे हैं. इस फिल्म को लेकर विवाद भी हुआ था. गंगूबाई के परिवार के कुछ लोगों ने इस फिल्म पर आपत्ति जताई थी गंगूबाई के बेटे बाबूजी रावजी शाह ने 20 दिसंबर को बॉम्बे सिविल कोर्ट में फिल्म की शूटिंग रोकने का मामला दर्ज कराया था। उनके मुताबिक हुसैन जैदी ने अपनी किताब के पेज 50 से लेकर 69 के बीच जो लिखा है वो बिल्कुल गलत लिखा है। उन पेजों में उन्होंने प्राइवेट मामलों में दखलंदाजी की बात कही।