30+ संत कबीर दास जी के अनमोल विचार, वचन | Kabir Das Quotes In Hindi
30+ संत कबीर दास जी के अनमोल विचार, वचन | Kabir Das Quotes In Hindi
1.) ना तो अधिक बोलना अच्छा है, ना ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है।
– कबीर दास
2.) इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है. जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे।
– कबीर दास
3.) जिस तरह चिड़िया के चोंच भर पानी ले जाने से नदी के जल में कोई कमी नहीं आती, उसी तरह जरूरतमंद को दान देने से किसी के धन में कोई कमी नहीं आती।
– कबीर दास
4.) बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।
– कबीर दास
5.) जो कल करना है उसे आज करो और और जो आज करना है उसे अभी करो , कुछ ही समय में जीवन खत्म हो जाएगा फिर तुम क्या कर पाओगे ?
– कबीर दास
6.) इस संसार का नियम यही है कि जो उदय हुआ है,वह अस्त होगा। जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा। जो छिना गया है वह गिर पड़ेगा और जो आया है वह जाएगा।
– कबीर दास
7.) जहाँ पर आपकी योग्यता और गुणों का प्रयोग नहीं होता, वहाँ आपका रहना बेकार है।जैसे- ऐसी जगह धोबी का क्या काम, जहाँ पर लोगों के पास पहनने को कपड़े ही नहीं हों।
– कबीर दास
8.) संसारी व्यक्ति का शरीर पक्षी बन गया है और जहां उसका मन होता है, शरीर उड़कर वहीं पहुँच जाता है। सच है कि जो जैसा साथ करता है, वह वैसा ही फल पाता है।
– कबीर दास
9.) समुद्र की लहर में मोती आकर बिखर गए. बगुला उनका भेद नहीं जानता, परन्तु हंस उन्हें चुन-चुन कर खा रहा है. इसका अर्थ यह है कि किसी भी वस्तु का महत्व जानकार ही जानता है।
– कबीर दास
10.) मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है. अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा।
– कबीर दास
11.) जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने ज्यादातर पास ही रखना चाहिए। वो तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ करता है।
– कबीर दास
12.) अज्ञानी व्यक्ति काम कम और बातें अधिक करते हैं।ऐसे लोग खुद अपना तर्क रखने के बजाय सुनी सुनाई बातों को ही रटते रहते हैं।
– कबीर दास
13.) पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
– कबीर दास
14.) शरीर में भगवे वस्त्र धारण करना सरल है, पर मन को योगी बनाना बिरले ही व्यक्तियों का काम है य़दि मन योगी हो जाए तो सारी सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं।
– कबीर दास
15.) गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर है, क्योंकि गुरु की शिक्षा के कारण ही भगवान के दर्शन होते हैं।
– कबीर दास
16.) सज्जन को चाहे करोड़ों दुष्ट पुरुष मिलें फिर भी वह अपने भले स्वभाव को नहीं छोड़ता. चन्दन के पेड़ से सांप लिपटे रहते हैं, पर वह अपनी शीतलता नहीं छोड़ता।
– कबीर दास
17.) इस संसार में मनुष्य का जन्म मुश्किल से मिलता है. यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता।
– कबीर दास
18.) सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए. तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का – उसे ढकने वाले खोल का।
– कबीर दास
19.) दुख के समय सभी भगवान को याद करते हैं पर सुख में कोई नहीं करता।यदि सुख में भी भगवान को याद किया जाए तो दुख हो ही क्यों ?
– कबीर दास
20.) जब गुण को परखने वाला ग्राहक मिल जाता है तो गुण की कीमत होती है. पर जब ऐसा ग्राहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है।
– कबीर दास
21.) खजूर के पेड़ के समान बड़ा होने का क्या लाभ, जो ना ठीक से किसी को छाँव दे पाता है और न ही उसके फल सुलभ होते हैं।
22.) कुछ लोग भगवान का ध्यान फल और वरदान की आशा से करते हैं, भक्ति के लिए नहीं।ऐसे लोग भक्त नहीं; व्यापारी हैं, जो अपने निवेश का चैगुना दाम चाहते हैं।
– कबीर दास
23.) अगर हमारा मन शीतल है तो इस संसार में हमारा कोई बैरी नहीं हो सकता। अगर अहंकार छोड़ दें तो हर कोई हम पर दया करने को तैयार हो जाता है।
– कबीर दास
24.) कभी भी पैर में आपने वाले तिनके की भी निंदा नहीं करनी चाहिए क्योंकि अगर वही तिनका आँख में चला जाए तो बहुत पीड़ा होगी।
– कबीर दास
25.) जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते
– कबीर दास
26.) कुछ लोग बहुत पढ़-लिखकर दूसरों को उपदेश देते हैं, लेकिन खुद अपनी सीख ग्रहण नहीं करते।ऐसे लोगों की पढ़ाई और ज्ञान व्यर्थ है।
– कबीर दास
27.) जैसा भोजन करते है वैसा ही हमारा मन हो जाता है और हम जैसा पानी पीते है वैसी ही हमारी वाणी हो जाती है।
– कबीर दास
28.) जिस तरह जमे हुए घी को सीधी ऊँगली से निकलना असम्भव है, उसी तरह बिना मेहनत के लक्ष्य को प्राप्त करना सम्भव नहीं है।
– कबीर दास
29.) मांगना मरने के समान है इसलिए कभी भी किसी से कुछ मत मांगो।
– कबीर दास
30.) जो व्यक्ति इस संसार में बिना कोई कर्म किए पूरी रात को सोते हुए और सारे दिन को खाते हुए ही व्यतीत कर देता है। वो अपने हीरे के समतुल्य अमूल्य जीवन को कौड़ियों के भाव व्यर्थ ही गवा देता है ।
– कबीर दास
31.) हे परमात्मा तुम मुझे केवल इतना दो कि जिसमें मेरा गुजारा चल जाए। मैं भी भूखा न रहूँ और अतिथि भी भूखे वापस न जाए।
– कबीर दास