मन की शक्ति साइको साइबरनेटिक्स बुक समरी | Psycho cybernetics book summary in hindi

साइको साइबरनेटिक्स बुक समरी | Psycho cybernetics book summary in hindi



Psycho-cybernetics यह पुस्तक व्यक्तियों में आत्म सुधार और आत्मा छवि किसी इंसान के लक्ष्य को पाने और ना पानी की योग्यता पर कैसे पूरा नियंत्रण रखती है इसके लेखक डॉक्टर मैक्सवैल माल्टज़ हैं विभिन्न संस्करणों से इस पुस्तक की तीन करोड़ से ज्यादा प्रतियां पूरे संसार में बिक चुकी हैं


डेनिश कैनेडी जिन्होंने इस पुस्तक को बाद में अपडेट किया वह कहते हैं कि psycho-cybernetics के साथ मेरे अनुभव बचपन में शुरू हुए जब मैंने इसका इस्तेमाल शुरु करते हुए हकलाने की गंभीर समस्या को जीता मैंने 20 वर्ष के अपने कैरियर का आनंद लिया है हाल ही के वर्षों में मैंने 35 हजार से अधिक श्रोताओं को संबोधित किया है कुल मिलाकर साल भर में मैं 2,00,000 लोगों को संबोधित करता हूं और मैंने इसी तकनीक का बार बार इस्तेमाल किया है मैंने अपने कारोबारी जीवन में कई अरबपति उद्योगपतियों के साथ काम किया है लेकिन इनमें से कुछ ऐसे भी थे जो काफी गरीब थे लेकिन वह गरीबी से उठे और आर्थिक विपत्तियों से जूझते हुए और शून्य से शुरुआत करते हुए उन्होंने आज अपना साम्राज्य स्थापित किया तो चलिए जो दोस्तों जानते हैं इस पुस्तक के बारे में।


1.) आत्म छवि : सीमा रहित जीवन की कुंजी


चाहे आप को इस बात का एहसास हो या ना हो लेकिन हम में से प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अपनी खुद की एक मानसिक ब्लूप्रिंट या तस्वीर बनी रहती है। हो सकता है कि यह तस्वीर हमारे चेतन मन में बहुत धुंधली और बुरी तरह से परिभाषित हो यह भी हो सकता है कि हम इसे चेतन मन से पहचानते भी ना हो लेकिन यह हमेशा वही रहती है और यही छवि हमारी अवधारणा है “मैं किस तरह का इंसान हूं?” यही खुद के बारे में हमारे विश्वास से बनती है अपने बारे में जो हमारे विश्वास होते हैं उनमें से अधिकतर हमारे पिछले अनुभवों, हमारा अतीत या असफलताओं अपने अपमान और अपनी जीत के आधार पर बनते हैं और हम लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर ही खास तौर पर बचपन में इन सारी चीजों की एक इमेज अपने मन में बना लेते हैं और खुद को वैसा ही समझने लगते हैं।


हो सकता है हम 10 साल की उम्र में स्कूल में एक गणित क्विज में नाकाम रहे हो और हमारे पिता ने हमसे कहा हो “तुम बिल्कुल अच्छे नहीं हो तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगे” यह इस तरह का कथन है जो हमारी आईडी, हमारी इनर डमी हमारे भीतर खुद की एक ऐसी छवि बना सकता है जिस छवि के साथ हम जीवन भर नहीं तो वर्षों तक बने रह सकते हैं और खुद को वैसा ही मानते रहते हैं।


एक बार हमारे बारे में कोई विश्वास या विचार हमारी छवि या मन की तस्वीर में में उतर आता है तो यह हमारे लिए सत्य बन जाता है जबकि हम सच्चाई देख ही नहीं पाते हैं और इसी को सच मानकर अपने सारे कार्य करते रहते हैं।


फिर आपकी यह छवि ही नियंत्रित करती है कि आप क्या हासिल कर सकते हैं और क्या नहीं। आपके लिए क्या मुश्किल है और क्या सरल। यहां तक कि आप पर दूसरों की प्रतिक्रिया भी इसके नियंत्रण में होती है यह उतने ही निश्चित और वैज्ञानिक तरीके से कार्य करती है जिस तरह थर्मोस्टेट आपके घर के तापमान को नियंत्रित करता है इसीलिए आपको अपनी आत्मा छवि पर गौर करना चाहिए चीजों को सही तरीके से देखना चाहिए।


जिसकी आत्मा छवि बहुत ज्यादा मोटी होती है जिस व्यक्ति की आत्मा छवि यह कहती है कि इस व्यक्ति को मीठे से बहुत प्यार है तो वह व्यक्ति जंक फूड को कभी छोड़ नहीं सकता और ना ही व्यायाम के लिए कभी समय निकाल सकता है उसका वजन कभी कम नहीं हो पाएगा अगर कभी कम हो भी जाता है तो वह लंबे समय तक इसे नहीं रख पाएगा क्योंकि आप लंबे समय तक अपनी आत्मा छवि से दूर नहीं रह सकते।



एक बार मनोवैज्ञानिक लेविन ने इसी क्षेत्र में एक प्रयोग किया जो कि बहुत ज्यादा भरोसेमंद प्रयोग रहा लेविन स्कूल में एक शिक्षक थे और उनके पास मौका था कि वह अपने प्रयोग को हजारों स्कूल के बच्चों पर प्रयोग कर सकें उन्होंने यह अनुमान लगाया कि अगर किसी विद्यार्थी को कोई खास विषय सीखने में मुश्किल लगता तो उसके पीछे का कारण क्या होता उनका मानना यह था कि अगर किसी विद्यार्थी को आत्म परिभाषा बदलने के लिए प्रेरित किया जाए तो उसके सीखने की योग्यता बदल जाती है और यही उस प्रयोग में प्रमाणित भी हुआ।


एक विद्यार्थी ने शो में से 55 शब्दों की स्पेलिंग गलत लिखी थी इतने सारे विषयों में फेल था कि उसे फेल ही घोषित कर दिया गया लेकिन फिर अगले साल क्या हुआ? अगले साल उसी विद्यार्थियों ने 91 का औसत पाया और पूरे स्कूल में सर्वश्रेष्ठ स्पेलर्स बन गया इसी तरह एक खराब ग्रेड वाली लड़की को कॉलेज से निकाल दिया गया इसके बाद उसने कोलंबिया के कॉलेज में एडमिशन लिया और सभी विषयों में ए ग्रेड वाली विद्यार्थी बन गई।


इन विद्यार्थियों के साथ समस्या यह नहीं थी कि यह मूर्ख है समस्या यह थी कि उनमें अक्षमता उनकी आत्मा छवि जैसे मुझ में गणित वाला दिमाग नहीं है मेरी स्पेलिंग हमेशा से ही खराब है इस तरह से उन्होंने अपनी गलती और असफलताओं को खुद के साथ जोड़ लिया था।

उन लोगों के सिवा किसी ने भी कभी कोई बेहतरीन चीज हासिल नहीं की जिन्होंने यह विश्वास करने की हिम्मत की की उनके भीतर की कोई चीज परिस्थितियों से श्रेष्ठ थी।

2.) अपने भीतर के स्वचलित सफलता मेकेनिज्म को कैसे जागृत करें



यदि कोई मनुष्य विश्वास से अपने सपनों की दिशा में बढ़ता है और अपनी कल्पना के अनुरूप जीवन जीने की कोशिश करता है तो उसे ऐसी सफलता मिलेगी जिसकी सामान्य समय में आशा नहीं की जा सकती।


सफलता की सक्रिय प्रवृत्ति


गिलहरी को कभी यह नहीं सिखाना पड़ता कि वह भोजन कैसे खत्म करें ना ही उसे यह सीखने की जरूरत पड़ती है की बहुत ठंड के लिए भोजन को बचाकर कैसे रखें वसंत में पैदा हुई गिलहरी ने कभी ठंड का अनुभव नहीं किया होता लेकिन उसी साल पतझड़ के मौसम में इन्हें चारों के महीने के लिए भोजन इकट्ठे करते देखा जा सकता है अपना घोंसला बनाने के लिए किसी को कोई विशेष शिक्षा की जरूरत नहीं पड़ती इसके बावजूद पक्षी खुले समुद्र के ऊपर हजारों मील की यात्रा कर लेते हैं उनके पास कोई अखबार या टीवी नहीं होते जो उन्हें मौसम की खबर दें लेकिन पक्षियों को पता होता है कि ठंडा मौसम कब आने वाला है उनके पास गर्म जलवायु का सटीक पता ठिकाना है भले ही वह हजारों मील दूर हो पशुओं में कुछ सहज प्रवृत्तियां होती है जो उनका मार्गदर्शन करती हैं संक्षेप में पशुओं में सफलता मैकेनिज्म होता है।


इस तरह इंसानों में भी सफलता की प्रवृत्ति होती है जो किसी भी जानवर से ज्यादा चमत्कारी और जटिल होती है हमारे रचयिता ने हमें देने में कोई कमी नहीं की पशु अपने लक्ष्य नहीं चुन सकते हैं लेकिन हम अपने लक्ष्य चुन सकते हैं उसी प्रकार इंसानों में ऐसी चीज होती है जो पशुओं में नहीं होती वह है; सृजनात्मक कल्पनाशीलता। कल्पनाशीलता की मदद से इंसान बहुत से लक्ष्य बना सकता है इसका उपयोग करके वह अपनी सफलता मैकेनिज्म को एक दिशा दे सकता है कह सकते हैं कि पशुओं में हार्डवेयर होता है लेकिन हम सॉफ्टवेयर की तरह काम करते हैं और अपने आउटपुट को लगातार बदल सकते हैं।


सभी वह कोई शुभचिंतक हो तथा व्यावहारिक मनुष्य ने इस तथ्य को पहचाना है और इस्तेमाल किया है हालांकि वह यह नहीं जान पाए कि सृजनात्मक कल्पनाशीलता कैसे सफलता मैकेनिज्म को सक्रिय कर देती है नेपोलियन ने कहा था “कल्पना संसार पर शासन करती है” महान दार्शनिक न्यू गोल्ड स्टुअर्ट ने कहा था “कल्पना की योग्यता मानव गतिविधियों और मानव सुधार का महान स्त्रोत है अगर इस योग्यता को नष्ट कर देंगे तो मनुष्य की स्थिति उतनी ही प्रगति हीन हो जाएगी जितनी की पशुओं की होती है” उद्योगपति हेनरी जे कायर ने कहा था “आप अपने भविष्य की कल्पना कर सकते हैं” अपनी कल्पनाशीलता के सकारात्मक रचनात्मक इस्तेमाल से उन्हें अपने व्यवसाय में बहुत सफलता मिली थी।


जाहिर है कि कई लोग अपनी कल्पना शक्ति का सही इस्तेमाल नहीं करते हैं यह लोग नीर उद्देश्य काम ने अपनी कल्पना शक्ति को छित्रा देते हैं लोग यह नहीं समझ पाते कि अगर इनका उद्देश्य पूर्ण इस्तेमाल किया जाए तो यह क्या कर सकती है सूरज की किरणों को अगर छित्रा दें तो सिर्फ हल्की गर्मी मिलती है लेकिन जब एक खास तरीके से मैग्नीफाइंग लेंस के माध्यम से किसी एक जगह केंद्रित किया जाता है तो इससे आग जल उठती है।


सर्वो मेकैनिज्म के सामान्य प्रकारों को समझना



1.) जहां लक्ष्य जवाब मालूम हो और उद्देश्य पता हो तो उस तक पहुंचना।


डॉ. नारबर्ट वाइनर ने द्वितीय विश्व युद्ध में लक्ष्य कांची मैकेनिज्म कि विकास का मार्ग बताया था उनका मानना था कि जब भी आप कोई उद्देश्य पूर्ण गतिविधि करते हैं तू मैकेनिज्म से मिलती-जुलती कोई चीज मांगी तंत्रिका तंत्र में होती है भले ही यह टेबल से पेंसिल उठाने जैसी सामान्य गतिविधि हो।


पेंसिल उठाने का  लक्ष्य शक्ति यह चेतन विचार के जरिए ही हासिल नहीं होता यह तो स्वचालित मेकैनिज्म के कारण हासिल होता है डॉक्टर बॉयलर ने कहा था कि सिर्फ देहा संरचना का कोई विशेषज्ञ ही यह जान सकता है कि पेंसिल उठाने में कितनी मांसपेशियों के इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है आपको यह बात पता भी हो तब भी आप खुद से यह नहीं कहते की “मुझे अपनी बाहों उठाने के लिए अपने कंधे की मांसपेशियों को सिकोड़ना होगा, मुझे अपनी बाहों को आगे करने के लिए अपनी ट्राइसेप्स को सिकोड़ना होगा” आदि। आप बस आगे बढ़ते हैं और पेंसिल उठा लेते हैं आप चेतन होकर अलग-अलग मांसपेशियों को आदेश जारी नहीं करते हैं ना ही यह हिसाब लगाते हैं की उन्हें कितना सिकुड़ने की जरूरत है।


जब आप एक लक्ष्य चुन लेते हैं और इसे करने के लिए खुद को प्रेरित करते हैं तो स्वचालित मेकैनिज्म बागडोर थाम लेता है जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल हम पेंसिल उठाने या किसी अन्य सामान चुनौतीहीन कार्य को करने के लिए करते हैं ठीक उसी प्रक्रिया का इस्तेमाल हम कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण दिखने वाले लक्ष्यों को हासिल करने में कर सकते हैं।


एक शिशु अपनी मांसपेशियों का इस्तेमाल करना सीख रहा है जब वह झुंझुनू की ओर हाथ बढ़ाता है तो उसमें सुधार बहुत स्पष्ट दिखता है बच्चे के पास इस बारे में बहुत कम पुरानी जानकारी होती है कि वह इसका लाभ ले सके उसका हाथ आगे पीछे इधर-उधर होता है और स्पष्ट रूप से टटोलते हुए झुनझुने तक पहुंच जाता है जब सीखने की प्रक्रिया घटित होती है तो सुधार अधिक परिष्कृत हो जाता है।


एक बात सही है की जब सफल प्रतिक्रिया सीख ली जाती है तो इसे इस्तेमाल के लिए याद रखा जाता है फिर स्वचलित मैकेनिज्म उस पर प्रतिक्रिया के लिए नकल करता है की सफलतापूर्वक प्रतिक्रिया कैसे करनी है यह अपनी सफलता को याद रखता है ओर असफलता को भूल जाता है और सफल कार्य की आदत डाल कर उसे दोहराता है।


क्या आप विचारों ज्ञान और शक्ति के असीम भंडार से जुड़े हुए हैं?


सभी युगों में कई महान चिंतक यह मानते आए हैं कि इंसान की “संग्रहित जानकारी” अतीत के अनुभवों और सीखे गए तथ्यों की व्यक्तिगत जानकारी तक ही सीमित नहीं है इमर्शन ने हमारे व्यक्तिगत व मस्तिष्क की तुलना शाश्वत मस्तिष्क के महासागर की ओर आने वाली खाड़ियों से करते हुए कहा था “सभी इंसानों में एक मस्तिष्क साझा है” 


थॉमस एडिसन का मानना था कि उन्हें कुछ विचार अपने से बाहर के किसी स्त्रोत से मिलते थे एक बार किसी रचनात्मक विचार के लिए उन्हें बधाई दी गई तो उन्होंने श्रेय लेने से इनकार कर दिया और कहा कि “विचार तो हवा में मौजूद रहते हैं” यह चीज अगर उन्होंने नहीं खोजी होती तो कोई दूसरा खोज लेता।



मशहूर संगीतज्ञ शुबर्ट ने अपने एक मित्र को बताया था कि उनकी रचनात्मक प्रक्रिया “उस धुन को याद करने” में निहित थी जिसके बारे में उन्होंने या पहले किसी ने कभी सोचा तक नहीं था। कई रचनात्मक कलाकारों और मनोवैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया की सभी सर्जनात्मक प्रेरणा सामान्य मानव स्मृति के बीच की समानता से प्रभावित हुए हैं।


किसी विचार या किसी समस्या के जवाब  की तलाश वास्तव में उस नाम को याद करने के बहुत समान है, जिसे आप भूल गए हैं आप जानते हैं कि नाम कहां है वरना आप खुद ही याद नहीं करते आपके मस्तिष्क का स्केनर संग्रहीत स्मृतियों को स्केन करता है जब तक कि मनचाहा नाम पहचान या खोज नहीं लिया जाता।


आप आइंस्टाइन नहीं है

जब कोई बच्चा गणित समझ नहीं पाता है तो माता-पिता या शिक्षक कुंठित होकर आलोचना में यह नकारात्मक वाक्य कह देते हैं कि “ वह कोई आइंस्टाइन नहीं है” फिर वह निराशा और कुंठा से दूर चले जाते हैं इस बुक के लेखक कहते हैं कि दरअसल आइंस्टाइन भी आइंस्टाइन जैसे नहीं थे आइंस्टाइन के साथी ही जानते थे कि वह गणित में बहुत कमजोर थे उन्हें अपने विचारों को और अच्छे से चीजों को समझने के लिए गणितज्ञों की जरूरत पड़ती थी आइंस्टाइन ने ऐसे ही एक व्यक्ति को लिखा था “गणित में अपनी मुश्किलों की चिंता ना करें, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि मेरी मुश्किलें आप से कहीं ज्यादा है”


आइंस्टाइन की जितनी भी सफलता है वह उनकी कल्पना के कारण ही है जो बहुत ही अवैज्ञानिक तरीके से संभव हुई उन्होंने एक बार एक प्रयोग का वर्णन किया जिसमें उन्होंने कल्पना की थी कि वे एक फोटोन हैं और प्रकाश की गति से घूम रहे हैं उन्होंने कल्पना की की फोटोन के रूप में वह क्या देखते हैं और महसूस करते हैं फिर उन्होंने कल्पना की कि वह दूसरा फोटोन बनकर पहले फोटोन का पीछा कर रहे हैं अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा प्रयोग है वह ब्लैक बोर्ड कहां गया जिस पर हम गणित के फार्मूले लिखा करते थे और समझते थे जिनका संबंध हम आइंस्टाइन से आमतौर पर जोड़ते हैं?



लेखक कहते हैं कि मैंने अल्बर्ट आइंस्टाइन के बारे में जो भी पढ़ा है उसका विश्लेषण यह है कि वह psycho-cybernetics के बहुत बड़े अभ्यासी थे वह इस तरह से कार्य करते थे जैसे कोई विचार उनका निष्कर्ष ही था वह कमाल के लक्ष्य निर्माता थे उनकी उपलब्धियां इस बात का प्रमाण है कि इंसान के पास कल्पना शक्ति के माध्यम से अपने खुद के संग्रहीत ज्ञान शिक्षा अनुभव योग्यता से परे और ऊपर उठने का अवसर होता है आप भी ऐसा कर सकते हैं।


तो वास्तव में psycho-cybernetics है क्या?


1.) अपनी आत्मा छवि की सटीक जांच और अच्छे से विश्लेषण करना


2.) अपनी आत्मा छवि से गलत और बंधक बन रहे विचारों को हटाना और अपने उद्देश्य के हिसाब से इसे सुनियोजित तरीके में बदलना।


3.) अपनी आत्मा छवि की दोबारा प्रोग्रामिंग के लिए अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग करना।


4.) अपने सर्वोमैकेनिज्म के साथ प्रभावी संचार के लिए अपनी कल्पना का प्रयोग करना ताकि यह स्वचालित सफलता मैकेनिज्म के रूप में कार्य करे यह आपको अपने लक्ष्यों की ओर निरंतर ले जाए।


अपनी एक नई मानसिक तस्वीर बनाएं


आप एक नई आत्मछवि की कल्पना तब तक नहीं कर सकते जब तक कि आप यह महसूस ना कर ले कि यह सच्चाई पर आधारित है अनुभव दर्शाता है कि जब लोग अपनी आत्मछवि बदल लेते हैं तो उन्हें किसी कारण से अपने बारे में सच्चाई दिख जाती है या उन्हें उसका एहसास हो जाता है।


एक पुरस्कार विजेता चैंपियनशिप स्कूल चेस क्लब था किसी स्पेनिश हरलेम के एक दर्जन से ज्यादा बच्चों को मिलाकर बनाया गया यह एक ग्रुप था इस क्लब के बच्चे क्लब में शामिल होने से पहले सड़कों पर आवारागर्दी करते थे। यह सभी बच्चे छोटे-मोटे अपराध और हिंसा में शामिल थे वह अपराध के दलदल में डूबे थे वह नशीली दवाओं का इस्तेमाल भी करते थे कई लोग उन्हें देखकर ही यह बोलते थे कि वह बेकार हैं निराशाजनक है खतरनाक है जेल की सजा के अलावा और यह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते लेकिन बिल होक नामक सामान्य स्कूल टीचर ने बच्चों में वह संभावना देखी जिसे कोई दूसरा नहीं देख सका इस क्लब की गतिविधि के माध्यम से उन्होंने उन बच्चों को एक अलग माहौल और अनुभव की श्रंखला प्रदान की जिसका नतीजा यह हुआ कि इन बच्चों को खुद को देखने का नजरिया ही बदल गया।


अक्सर ऐसा होता है कि लोग किसी के भी बारे में यह कह देते हैं जिसके होने की संभावना नहीं होती है और वह व्यक्ति भी यही मानता है लेकिन फिर उसे कोई ऐसा मिल जाता है जो उसमें ऐसी संभावना देख लेता है जो कोई दूसरा नहीं देख पाता। उसमें इतना यकीन करता है कि जितना कि वह स्वयं भी नहीं कर पाता और अपने प्रभावी संकल्प की वजह से वह व्यक्ति उस व्यक्ति की आत्मा छवि को सीधे बदल देता है आपको किसी दूसरे का इंतजार करने की जरूरत नहीं है जो आपके लिए कार्य करें आप psycho-cybernetics की मदद से खुद ही ऐसा कर सकते हैं।


Psycho-cybernetics का संदेश यह है कि ईश्वर ने हर इंसान को सफल होने के लिए बनाया है हर इंसान में यह शक्ति है कि वह अपने से बड़ी शक्ति तक पहुंच सकता है और वह है आप।


अगर आपको खुशी और सफलता के लिए बनाया है तो आपकी अपने बारे में बनाई गई पुरानी तस्वीर गलत होगी जिसमें आप खुद को खुशी का हकदार नहीं समझते हैं या खुद को ऐसा इंसान समझते हैं जो असफल होने के लिए पैदा हुआ है आपको अपना मानसिक प्रशिक्षण अभ्यास तैयार करना होगा जो कि इस प्रकार है।


1.) लक्ष्य बनाएं – आपकी सफलता मैकेनिज्म का एक लक्ष्य या टारगेट होना चाहिए इसी लक्ष्य की कल्पना इस प्रकार करें जैसी यह पहले से ही अस्तित्व में है या तो वास्तविक रूप में संभावित रूप में यह इस तरीकों से हो सकता है। पहले से मौजूद किसी चीज को खोज कर


2.) विश्वास रखें – स्वचालित मेकैनिज्म अंतिम परिणामों पर कार्य करता है इस बात से हताश ना हो कि साधन स्पष्ट नहीं है जब आप लक्ष्य प्रदान कर देते हैं तो साधन प्रदान करना स्वचालित मेकैनिज्म का काम है अंतिम परिणाम के बारे में सोचें साधन अमूमन अपनी परवाह स्वयं कर लेते हैं।


3.) बेफिक्र रहें – गलतियां करने या अस्थाई असफलताओं से घबराए नहीं सभी सर्वोमैकेनिज्म नकारात्मक फीडबैक और गलतियों में तुरंत सुधार कर लक्ष्य हासिल करते हैं स्वचालित दिशा सुधारो psycho-cybernetics के कई इलाकों में से एक है।


4.) सीखें – कोशिश और गलतियों के माध्यम से ही हर तरह की योग्यता सीखी जाती है गलती के बाद अपने लक्ष्य की दिशा में मानसिक सुधार करते रहे जब तक की आवश्यक है गतिविधि क्रिया या प्रदर्शन को हासिल ना कर ले इसके बाद आगे की सीखने की प्रक्रिया तब हासिल होती है जब आप पुरानी गलतियों को भूल जाते हैं और सफल प्रतिक्रिया को याद रखते हैं ताकि इसकी नकल की जा सके।