पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के 24 सुविचार | Shriram Sharma Acharya Quotes In Hindi

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के 24 सुविचार | Shriram Sharma Acharya Quotes In Hindi


पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के 24 सुविचार | Shriram Sharma Acharya Quotes In Hindi

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के 24 सुविचार | Shriram Sharma Acharya Quotes In Hindi


1.) जो शिक्षा मनुष्य को परावलंबी, अहंकारी और धूर्त बनाती हो, वह शिक्षा, अशिक्षा से भी अधिक बुरी है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


2.) मनुष्य एक अनगढ़ पत्थर है, जिसे शिक्षा रूपी छैनी ओर हथौड़ी से सुंदर आकृति प्रदान की जा सकती हैं।


–  पं. श्रीराम शर्मा


3.) फूलों की खुशबू हवा के विपरीत दिशा में नहीं फैलती लेकिन सद्गुणों की कीर्ति दसों दिशाओं में फैलती है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


4.) हर व्यक्ति को अपना मूल्य समझना चाहिए और खुद पर यह विश्वास करना चाहिए कि वे संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


5.) अपनी प्रसन्नता को दूसरों की प्रसन्नता में लीन कर देने का नाम ही ‘प्रेम’ है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


6.) मानव का पहला पुरुषार्थ है- जीवन के लक्ष्य में प्रमाद नही करना।


–  पं. श्रीराम शर्मा


7.) किसी भी व्यक्ति के द्वारा किए गए पाप उसके साथ रोग, शोक, पतन और संकट साथ लेकर ही आते है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


8.) प्रभावी और सार्थक उपदेश वह होता है जो वाणी से नहीं, अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


9.) अपने भाग्य को मनुष्य खुद बनाता है, ईश्वर नहीं।


–  पं. श्रीराम शर्मा


10.) दूसरों के साथ वह व्यवहार मत करो, जो तुम्हें खुद अपने लिए पसन्द नहीं।


–  पं. श्रीराम शर्मा


11.) सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी खुद को ना पहचान पाए तो सारा ज्ञान निरर्थक है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


12.) गलती करना बुरा नहीं है बल्कि गलती को नहीं सुधारना बुरा है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


13.) किसी का आत्मविश्वास जगाना उसके लिए सर्वोत्तम उपहार है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


14.) जिस शिक्षा में समाज और राष्ट्र के हित की बात नहीं हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं कही जा सकती।


–  पं. श्रीराम शर्मा


15.) शिक्षा वह होती हैं जो हाथों को आजीविका, उपार्जन सिखाएं और मानवीय दायित्वो का निर्वहन करना सिखाएं। जो शिक्षा पेट के लिए गुलामी सिखाएं और मन के लिए विलासिता का आवरण ओढ़ाए तो वह शिक्षा किस काम की?


–  पं. श्रीराम शर्मा


16.) मुस्कुराने की कला दुखों को आधा कर देती है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


17.) शालीनता बिना मोल मिल जाती है, परन्तु उससे सब कुछ खरीद सकते है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


18.) खुद की महान् संभावनाओं पर दृढ़ विश्वास ही सच्ची आस्तिकता है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


19.) कभी निराश न होने वाला, सच्चा साहसी होता हैं।


–  पं. श्रीराम शर्मा


20.) देश और भविष्य की संभावनाएं देखनी है तो आज के बच्चों के स्तर को देखो।


–  पं. श्रीराम शर्मा


21.) आज का नया दिन हमारे लिए एक अमूल्य अवसर है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


22.) मनुष्य अपने रचयिता की तरह ही सामर्थ्यवान है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


23.) मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता खुद ही होता है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


24.) दूसरों को पीड़ा नही देना ही, मानव धर्म है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


25.) जीवन का हर पल एक उज्ज्वल भविष्य की संभावना को लेकर आता है।


–  पं. श्रीराम शर्मा


26.) अपने भाग्य को मनुष्य खुद बनाता है, ईश्वर नहीं।


–  पं. श्रीराम शर्मा