ऋग्वेद के अनमोल वचन | Rig Veda Quotes In Hindi
ऋग्वेद के अनमोल वचन | Rig Veda Quotes In Hindi
सब लोग हृदय के दृढ़ संकल्प से श्रद्धा की उपासना करते हैं, क्योंकि श्रद्धा से ही ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
– ऋग्वेद
कर्त्तव्य के पथ पर क्या उचित है, क्या अनुचित यह निरंतर विचारते रहो। अंधपरंपरा को छोडकर तर्क और विवेक का आश्रय ग्रहण करो।
– ऋग्वेद
देवता श्रम करने वाले के अतिरिक्त किसी और से मित्रता नहीं करते हैं। जो श्रम नहीं करता, देवता उसके साथ मैत्री नहीं करते।
– ऋग्वेद
जो अधर्माचरण से युक्त हिंसक मनुष्य है, उसको धन, राज्यश्री और उत्तम सामर्थ्य प्राप्त नहीं होता. इसलिए सबको न्याय के आचरण से ही धन खोजना चाहिए।
– ऋग्वेद
हे शक्तिशाली मार्गदर्शक तेरी रक्षण शक्ति और बहु-विधि ज्ञान-शक्ति से तू हमें उत्तम शिक्षा दे। हमें अवगुण, क्षुधा और व्याधि से मुक्त कर।
– ऋग्वेद
तृष्णा नष्ट होने के साथ ही विपत्तियाँ भी नष्ट होती हैं। जिसे जितनी अधिक तृष्णा है, वह उतना ही बड़ा आपत्तिग्रस्त है।
– ऋग्वेद
उत्साही और आशावादी का ही साथ करो। उनसे दूर रहो जो भविष्य को निराशाजनक बताते हैं।
– ऋग्वेद
हमारी बुद्धियां विविध प्रकार की हैं। मनुष्य के कर्म भी विविध प्रकार के हैं।
– ऋग्वेद
देते हुए पुरुषों का धन क्षीण नहीं होता। दान न देने वाले पुरुष को अपने प्रति दया करने वाला नहीं मिलता।
– ऋग्वेद
अविचारशील मनुष्य दु:ख को प्राप्त होते हैं।
– ऋग्वेद
परमेश्वर विद्वानों की संगति से प्राप्त होता है।
– ऋग्वेद
उनको ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, जो आलस्य का त्याग करके सदैव सत्कर्म के लिए प्रयासरत रहते हैं।
– ऋग्वेद
मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता आप है. जो जैसा सोचता है और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।
– ऋग्वेद
हमारी बुद्धियाँ विविध प्रकार की हैं. मनुष्य के कर्म भी विविध प्रकार के हैं।
– ऋग्वेद
कुविचारों और कुकर्मों को दूर करो। वे अपने धारण करने वालों को ही नष्ट करते हैं।
– ऋग्वेद
किसी भी मनुष्य को श्रेष्ठ वृक्ष या वनस्पति को नष्ट नहीं करना चाहिए. किन्तु उनमें जो दोष हो उनक निवारण कर उन्हें उत्तम सिद्ध करना चाहिए।
– ऋग्वेद
जैसे रथ का पहिया इधर-उधर नीचे-ऊपर घूमता रहता है, वैसे ही धन भी विभिन्न व्यक्तियों के पास आता-जाता रहता है, वह कभी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहता।
– ऋग्वेद
एक प्रकार के विचार रखो, एक समिति में संगठित रहो। विचारों की एकता और संगठन से एक प्रचंड शक्ति उत्पन्न होती है।
– ऋग्वेद
हे परमेश्वर, हमारे मन को शुभ संकल्प वाला बनाओ। हमें सुखदायी बल और कर्मशक्ति प्रदान करो। हम देवों की शुभ मति के अधीन रहें।
– ऋग्वेद
मनुष्यों को चाहिए कि सब ऋतुओं में सुख कारक, धनधान्य से युक्त, वृक्ष, पुष्प, फल, शुद्ध वायु, जल तथा धार्मिक और धनाढ्य पुरुषों से युक्त गृह बनाकर वहां निवास करे, जिससे आरोग्य से सदा सुख बढे।
– ऋग्वेद
धन उन्हीं के पास ठहरता है जो सद्गुणी हैं। दुर्गुणी की विपुल संपदा भी स्वल्प काल में नष्ट हो जाती है।
– ऋग्वेद
जो मर्यादाओं का पालन करता है, वही पाप से बचता है। बुराइयों की ओर ढीला मन रखने से फिसलने का भय है।
– ऋग्वेद
शक्तियों का संगठन करो, सदविचारों का संगठन करो। संगठन से बढ़कर शुक्तिशाली तत्त्व इस पृथ्वी पर दूसरा नहीं।
– ऋग्वेद