Ias Awanish Sharan biography in Hindi
एक IAS अधिकारी ने अपने सोशल मीडिया पर अपनी सफलता की कहानी छात्र-छात्राओं के साथ साझा की है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि 10वीं में उनके सिर्फ 44.7 प्रतिशत अंक थे और वे 13 बार अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल रहे। लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत को कभी कम नहीं किया और अंत में वे IAS बन पाए।
IAS अवनीश शरण ने अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के बल पर उच्च प्रशासनिक पद हासिल किया है। वे 2009 बैच के IAS अधिकारी हैं और छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहे हैं। वे सोशल मीडिया पर बार-बार ऐसी पोस्ट करते हैं जो लोगों को प्रेरित करती हैं। लेकिन इस बार उन्होंने एक ऐसी पोस्ट की है, जिससे देश के अनेक युवाओं को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने का साहस मिल सकता है।
Awanish Sharan biography in Hindi
उन्होंने बताया है कि लोग जब जिंदगी में एक या दो बार ही फेल हो जाते हैं तो उनका जोश खत्म हो जाता है, जबकि वे 13 बार निरंतर प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण हुए। लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत को नहीं छोड़ा और लगातार पढ़ते रहे। अंततः उनका परिश्रम और जुनून खाली नहीं गया और उन्हें सफलता मिली, जिससे वे IAS अधिकारी के रूप में चुने गए। IAS अवनीश शरण ने अपनी पोस्ट में अपने 10वीं से लेकर ग्रेजुएशन तक के अंकों की जानकारी भी दी है।
कई परीक्षाओं में नाकाम रहे
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि 10वीं में उनके बस 44.7 अंक आए थे। फिर 12वीं में उनके 65 प्रतिशत और ग्रेजुएशन में 60 प्रतिशत अंक थे। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। पर वे बार-बार उन परीक्षाओं में नाकाम रहे। वे CDS में फेल हुए। फिर CPF में भी असफल रहे। वे राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 10 से अधिक बार प्रारंभिक परीक्षा में फेल हुए।
यूपीएससी में मिली सफलता
उन्होंने बताया है कि उन्होंने UPSC सिविल सेवा की परीक्षा देने का निर्णय लिया। इस परीक्षा में उनका पहला प्रयास साक्षात्कार तक पहुंचने में सफल था। जबकि दूसरे प्रयास में उन्होंने इस परीक्षा को क्रैक कर लिया और उन्हें ऑल इंडिया में 77वां रैंक मिला। वर्ष 2009 में वे IAS अधिकारी के तौर पर छत्तीसगढ़ कैडर में
IAS अवनीश शरण (IAS Awanish Sharan) की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रही है और लोग इसे युवाओं को प्रेरणा देने वाली मान रहे हैं। एक यूजर ने उनकी पोस्ट पर लिखा है कि इससे यह पता चलता है कि किसी का भाग्य उसके कक्षाओं में प्राप्त अंकों पर निर्भर नहीं होता। इसके लिए उसकी मेहनत और लगन का भी बहुत महत्व होता है।
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