तमिलनाडु के निवासी जयगणेश ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 156वीं रैंक प्राप्त करके IAS बनने के अपने सपने को साकार किया। लेकिन उन्होंने इस परीक्षा में छह बार विफलता का सामना किया। फिर भी, उन्होंने छह बार विफल होने के बावजूद निराशा को खुद तक नहीं आने दिया और सातवें प्रयास में उन्होंने कठिनाईयों को पार करके सफलता प्राप्त की।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक के रूप में देखा जाता है। हर वर्ष इसमें लाखों उम्मीदवार हिस्सा लेते हैं, लेकिन उनमें से केवल कुछ ही लोग सफलता की राह पर अग्रसर होते हैं। कुछ उम्मीदवार ऐसे होते हैं जो कठिनाईयों को पार करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। इनमें से एक उम्मीदवार तमिलनाडु के जयगणेश हैं, जिन्होंने लगातार छह बार असफल होने के बावजूद भी निराशा को नहीं अपनाया और सातवें प्रयास में IAS बनने का उनका सपना साकार हुआ।
इंटेलिजेंस ब्यूरो में हुआ सिलेक्शन लेकिन सपना IAS का ही था
जयगणेश ने पहले छह बार यूपीएससी की परीक्षा में अपने आप को साबित करने की कोशिश की, लेकिन वे हर बार असफल रहे। इस दौरान, उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो में नौकरी का अवसर मिला, लेकिन उनका लक्ष्य IAS अधिकारी बनना था। इसलिए, उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो की नौकरी को छोड़कर अपनी अध्ययन यात्रा को जारी रखा। अंततः, सातवें प्रयास में, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की और देशभर में 156वीं स्थानीयता प्राप्त की। इस प्रकार, उन्होंने अपने सपने को IAS अधिकारी बनने का साकार किया।
पढ़ाई के कारण जयगणेश को अपना गांव छोड़ना पड़ा आखिर सातवें प्रयास में मिली सफलता
उन्होंने अपने गांव से ही अपने पहले तीन प्रयास किए, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने अपने गांव को छोड़कर चेन्नई की ओर रुख किया। चेन्नई में, उन्होंने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आईएएस में प्रवेश प्राप्त करके अपनी तैयारी शुरू की, लेकिन उन्हें अगले तीन प्रयासों में भी सफलता नहीं मिली। फिर भी, उन्होंने अपने सपने को अधूरा नहीं छोड़ा और लगातार तैयारी जारी रखी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सातवें प्रयास में सफलता मिली।
पढ़ाई के लिए होटल में काम भी किया
चेन्नई में वास करते समय, जयगणेश को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। उन्होंने इस शहर में विभिन्न स्थलों पर कार्य किया। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, उन्होंने होटल में वेटर के रूप में कार्य करना शुरू किया। साथ ही, उन्होंने सिनेमाहॉल में भी कुछ समय तक कार्य किया, ताकि उनकी यूपीएससी की तैयारी पर कोई प्रभाव न पड़े। इसी संघर्षशीलता ने उन्हें अंततः एक आईएएस अधिकारी के रूप में स्थापित करने में सहायता की।