यदि आपके हृदय में किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की इच्छा और उत्साह है, तो विश्वास कीजिए कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। हमारे चारों ओर कई लोगों ने अपनी कठिनाईयों को पार करके सफलता प्राप्त की है। प्रतिवर्ष इस देश में अनेक युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाईयों से लड़ रहे होते हैं। इनमें से बहुत से युवा यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं।
हर साल इनमें से कई युवा अपने सपने को पूरा करते हैं और परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं। फिर भी, सभी के लिए सफलता प्राप्त करना आसान नहीं होता। कई लोगों को इसके लिए गहरे संघर्ष से गुजरना पड़ता है। हम ऐसे ही सफलता की कहानी लाएं हैं आज हम आईएएस श्रीधन्या सुरेश की बात करेंगे, जिनकी कहानी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
श्रीधन्या का प्रारंभिक जीवन और परिवार
श्रीधन्या सुरेश के माता-पिता मनरेगा के अंतर्गत काम करते थे। श्रीधन्या सुरेश केरल के वायनाड जिले की निवासी हैं, जो कि कई मामलों में विकसित नहीं है। श्रीधन्या के परिवार में उनके माता-पिता के साथ ही तीन और सदस्य भी हैं। श्रीधन्या का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। उनके पिता दिनभर मजदूरी करते थे और बाजार में सामान बेचते थे। उनकी मां भी मनरेगा के तहत काम करती थी। उनका बचपन अभाव में बिता था।
श्रीधन्या की शिक्षा
श्रीधन्या सुरेश ने अपनी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की। स्कूली शिक्षा के उपरांत, उन्होंने टी जोसेफ कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कालीकट विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। स्नातकोत्तर के बाद, श्रीधन्या ने राज्य के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के पद पर कार्य किया।
2018 में किया यूपीएससी क्लियर
2018 में श्रीधन्या सुरेश का यूपीएससी में चयन हुआ। उन्होंने 2016 और 2017 में यूपीएससी की परीक्षाएं दीं, लेकिन दोनों बार उन्हें सफलता नहीं मिली। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी कठिनाईयों को पार करने के लिए अपनी मेहनत और संकल्प का इस्तेमाल किया। इस प्रयास के परिणामस्वरूप, उन्होंने 2018 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और 410वीं रैंक प्राप्त करके आईएएस अधिकारी बनीं। इस प्रकार, उन्होंने अपने समुदाय का नाम गर्व से ऊंचा किया।
इंटरव्यू में जाने के लिए दोस्तों से पैसे लेने पड़े
यूपीएससी के इंटरव्यू में भाग लेने के लिए श्रीधन्या सुरेश को अपने दोस्तों से पैसे मांगने पड़े थे क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी। जब उनके दोस्तों को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने पैसे जुटाकर श्रीधन्या की सहायता की। वह केरल की पहली आदिवासी महिला हैं जिन्होंने आईएएस बनने का सपना साकार किया। श्रीधन्या की यह यात्रा हमारे समाज के लिए प्रेरणास्पद है, यह हमें यह सिखाती है कि कितनी भी कठिनाईयाँ क्यों न हो, उन्हें दृढ़ इच्छाशक्ति और कठिनाईयों के सामने मेहनत से पार किया जा सकता है।