Deepa Bhati uppsc Success Story In Hindi
बुधवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस परीक्षा का परिणाम घोषित किया। तब से मीडिया में टॉपर्स की कहानियां सुनाई जा रही हैं। इनमें से कुछ ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए इस उच्च लक्ष्य को हासिल किया है। इन्होंने सरकारी नौकरी पाने के लिए अपनी पूरी मेहनत और लगन दिखाई और अंत में जीत हाथ लगाई। आइए जानते हैं नोएडा की दीपा भाटी के बारे में, जिन्होंने इस परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया।
जब मन में कुछ कर गुजरने की चाह होती है, तो कोई भी मुश्किल आसान नजर आती है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस 2021 परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है। इस परीक्षा में सरकारी नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों में से कुछ ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए अनेक बाधाओं को पार किया है।
यूपी पीसीएस 2021 परीक्षा में दीपा भाटी नाम की एक महिला भी सफल हुई है, जो नोएडा की रहने वाली हैं। दीपा भाटी एक तीन बच्चों की माँ हैं और एक स्कूल में शिक्षिका भी हैं। उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और अंततः सफलता प्राप्त की। उनका यह सफर आसान तो नहीं था लेकिन उनका जुनून उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देता रहा। आइए जानते हैं दीपा भाटी के बारे में, जिन्होंने इस परीक्षा में चमक दिखाई।
घर में रिजल्ट की खबर से खुशी का माहौल बन गया
दीपा भाटी नोएडा के कोंडली बांगर गांव से हैं. वर्तमान में वे अपने परिवार के साथ ग्रेटर नोएडा की एल्डिको ग्रीन मीडोज सोसाइटी में रह रही हैं. उन्होंने यूपी पीसीएस 2021 परीक्षा में 166वीं रैंक प्राप्त की है (Deepa Bhati Rank). रिजल्ट आते ही उनके घर में खुशहाली छा गई।
दोबारा कोशिश करके हुईं कामयाब
दीपा भाटी ने पहली बार में बस कुछ अंकों से रह गई थीं. लेकिन वह हार नहीं मानी और दोगुनी मेहनत करके तैयार हुईं. अंत में तीसरी बार में उनका सपना पूरा हुआ और वह सफलता हासिल कर पाईं. उन्होंने नोएडा के निजी स्कूलों में 7-8 साल तक पढ़ाने का काम किया है. साथ ही वह घर की जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखती थीं. उन्हें राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रिंसिपल की नौकरी मिली है.
मां ने दिया साथ
मां का साथ रहा दीपा भाटी की तीन संतानें हैं. उनकी बड़ी बेटी 12वीं कक्षा में, छोटी बेटी 9वीं कक्षा में और बेटा यूकेजी कक्षा में पढ़ रहे हैं. उन्होंने बच्चों का ख्याल रखने के साथ ही अपनी पढ़ाई को भी अहमियत दी. इस लंबे सफर में उनकी मां का साथ बना रहा. मां बच्चों का ध्यान रखती थीं, तभी वह बाहर के काम और पढ़ाई दोनों को संभाल पाती थीं।
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