Savita Pradhan Ias Biography In Hindi
अफसर बनने का सपना देखने वाली महिलाओं की कहानियां हमें प्रेरित करती हैं। उनमें से कुछ ने अपनी नौकरी त्याग दी, तो कुछ ने आर्थिक संकट को दूर करने के लिए संघर्ष किया। एक ऐसी ही महिला हैं, जिनका जीवन घरेलू हिंसा, पारिवारिक दुख और आत्महत्या की कोशिश से भरा हुआ था। लेकिन इन सबके बावजूद वह आज आईएएस की शानदार पद पर हैं और लोगों की मुश्किलों को आसान बना रही हैं। यह महिला अफसर अपने चार माह के बच्चे संग कार्यालय जाती हैं, तो लोग उनकी हिम्मत और लगन को सलाम करते हैं। यह आईएएस सविता प्रधान की अद्भुत कहानी है।
सविता प्रधान का प्रारंभिक जीवन (Savita Pradhan Ias Biography In Hindi)
मध्य प्रदेश के मंडी जिले की एक आदिवासी लड़की सविता, जिसका सपना था अफसर बनना। उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। लेकिन उसने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी। वह रोजाना गांव से 7 किलोमीटर दूर अपने स्कूल तक पैदल चलती थी। सविता ने 2017 में अपनी पहली ही कोशिश में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की और आईएएस बन गईं। आज वह अपने पद का गौरवपूर्ण निर्वहन कर रही हैं।
सविता प्रधान की शिक्षा
एक आदिवासी गांव में रहने वाली सविता को पढ़ाई का जुनून था। वह अपने गांव की पहली लड़की बनी, जिसने 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके स्कूल ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे स्कॉलरशिप दी। इससे उसकी शिक्षा को बढ़ावा मिला। 10वीं के बाद वह हर दिन 7 किलोमीटर दूर अपने स्कूल तक पैदल चलती थी, क्योंकि उसके पास बस का किराया नहीं था।
शादी के बाद प्रताड़ना झेली
सविता का बचपन अधूरा रह गया, जब उनके माता पिता ने उनकी शादी एक अमीर घराने से कर दी। लेकिन वहां उन्हें कोई प्यार नहीं मिला, सिर्फ ताने और मार। उनके पति और ससुराल वाले उन्हें हर तरह से नीचा दिखाते थे। उन्हें अपने परिवार के साथ भी खाना नहीं मिलता था। वह बाथरूम में छिपकर भूख मिटाती थीं।
आत्महत्या करने की कोशिश भी की
सविता ने अपने दो बच्चों को भी पाला, लेकिन उनके दुःखों का अंत नहीं हुआ। एक दिन उन्होंने अपनी जान लेने का फैसला किया और फांसी पर लटकने के लिए तैयार हो गईं। रिपोर्ट के अनुसार, उनकी सास ने उन्हें खिड़की से आत्महत्या करते हुए देखा, लेकिन उन्हें बचाने का प्रयास नहीं किया। इसने सविता को झकझोर दिया। उन्होंने समझा कि उनकी मौत से कुछ नहीं होगा, उनके बच्चो का भविष्य भी बिगड़ जाएगा।
नौकरी और पढ़ाई दोनों साथ की
सविता को अपने बच्चों के लिए अपनी ससुराल से आजादी चाहिए थी, जहां उन्हें सिर्फ दर्द और जुल्म मिलता था। उन्होंने हिम्मत करके अपने बच्चों के साथ वहां से भाग लिया। उन्होंने एक पार्लर में नौकरी करके अपने बच्चों का ख्याल रखा। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने इंदौर विश्वविद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर किया। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा के लिए मेहनत की।
पहली बार में ही यूपीएससी की परीक्षा पास की
सविता ने 2017 में अपनी पहली ही कोशिश में यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की। उन्हें मध्य प्रदेश के नीमच जिले का सीएमओ बनने का मौका मिला। उन्होंने अपने चार महीने के बच्चे को लेकर अपना काम शुरू किया।
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