Vinod Kumar Uppsc Success Story In Hindi
विनोद कुमार का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
यूपीपीएससी की परीक्षा में 24वां स्थान हासिल करके उरई तहसील के उदोतपुरा गांव के विनोद कुमार ने अपने नगर और क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। उनके पिता गंगाराम दोहरे एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मी थे। विनोद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में प्राप्त की, फिर उरई के एस आर इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की पढ़ाई करके अपने क्षेत्र में ही पॉलिटेक्निक की डिग्री ली।
गंगाराम दोहरे ने अपने पांच बच्चों को न केवल अच्छी तरह से पाला-पोसा, बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा देकर उच्च पदों पर पहुंचाने में भी सफल रहे। उन्होंने अपनी लगन, मेहनत, ईमानदारी और सेवाभाव से यह सब कुछ किया।
विनोद कुमार का परिवार
गंगाराम दोहरे के पांच बच्चे हैं, जिनमें तीन लड़कियां और दो लड़के हैं। उनकी लड़कियों में से दोनों शिक्षक हैं और शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं, जबकि तीसरी घरेलू महिला है। उनका छोटा बेटा मनोज कुमार एक बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करता है, जिसके लिए उन्होंने भारत की सर्वाधिक मान्यता प्राप्त परीक्षा IIT को उत्तीर्ण किया था। उनका बड़ा बेटा विनोद कुमार जिसने अपनी पढ़ाई प्राइमरी स्कूल से शुरू की और सरकारी स्कूल से हाईस्कूल, पॉलीटेक्निक और बीटेक की पढ़ाई पूरी की।
प्राइवेट जॉब भी की
विनोद कुमार ने प्राइवेट सेक्टर में भी अपना भाग्य आजमाया, लेकिन उन्हें वहां का दबाव और तनाव बर्दाश्त नहीं हुआ और वे अपने परिवार और समाज की शान बढ़ाने के लिए लोकसेवा का चुनाव करके दिल्ली चले गए। दिल्ली में उन्होंने वर्षों तक मेहनत की, कोचिंग ज्वाइन की, मॉक टेस्ट दिए, लेकिन उन्हें अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी थी।
पिता के रिटायर होने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और उनके लिए पढ़ाई जारी रखना कठिन हो गया, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और न्यूज एडिटिंग का पार्ट टाइम काम करके अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया, हालांकि जॉब की वजह से उनकी तैयारी पर असर पड़ा और उन्होंने उसे भी त्याग दिया। फिर उन्हें अपनी आर्थिक मुश्किलों का कोई समाधान निकालना ही था तो उन्होंने ऑनलाइन कोचिंग सेंटरों के छात्रों के टेस्ट पेपरों को चेक करने का काम शुरू किया।
उनकी मेहनत का फल 2020 में मिलना शुरू हुआ और उन्होंने पहली बार प्री और मेंस की परीक्षा पास करके इंटरव्यू देने का मौका पाया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। फिर 2021 में भी वे इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन उनका चयन नहीं हुआ, इसके बाद 2022 में भी वे तीसरी बार इंटरव्यू देने गए, पर उनका नाम फाइनल लिस्ट में नहीं आया।
इतने विफलताओं के बावजूद वे अपने लक्ष्य से नहीं हटे, बल्कि अपने साहस और इच्छाशक्ति को बरकरार रखते हुए चौथी बार भी पूरी ताकत और जोश के साथ इंटरव्यू के लिए तैयार हुए। उनका जुनून, परिश्रम, नम्रता, संघर्ष और जज्बा ने किस्मत को भी मजबूर कर दिया और विनोद कुमार को डिप्टी कलेक्टर की जिम्मेदारी मिली।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए केवल विनोद कुमार ही नहीं बल्कि उनके पिता गंगाराम दोहरे जी भी बधाई के योग्य हैं, जिन्होंने अपनी छोटी-सी कमाई से अपने 5 बच्चों को उच्च शिक्षा और संस्कार प्रदान करके उन्हें उनके सपनों की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
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