ज्योतिबा फुले के सामाजिक 15+ अनमोल विचार | Jyotiba Phule Quotes in hindi
ज्योतिबा फुले जयंती पर सामाजिक 15+ अनमोल विचार | Jyotiba Phule jayanti Quotes in hindi
●•● ब्राह्मणों ने दलितों के साथ जो किया जो कोई कोई मामूली अन्याय नहीं है। उसके लिए उन्हें ईश्वर को जवाब देना होगा।
ज्योतिबा फुले
●•● पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है , और सभी मनुष्यों में नारी श्रेष्ठ है . स्त्री और पुरुष जन्म से ही स्वतंत्र है . इसलिए दोनों को सभी अधिकार समान रूप से भोगने का अवसर प्रदान होना चाहिए।
ज्योतिबा फुले
●•● आपके संघर्ष में शामिल होने वालों से उनकी जाति मत पूछिए।
ज्योतिबा फुले
●•● ईश्वर एक है और वही सबका कर्ताधर्ता है।
ज्योतिबा फुले
●•● अनपढ़ , अशिक्षित जनता को फंसाकर वे अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं और यह वे प्राचीन काल से कर रहें हैं . इसलिए आपको शिक्षा से वंचित रखा जाता है।
ज्योतिबा फुले
●•● शिक्षा के बिना समझदारी खो गई, समझदारी के बिना नैतिकता खो गई , नैतिकता के बिना विकास खो गया, धन के बिना शूद्र बर्बाद हो गया . शिक्षा महत्वपूर्ण है।
ज्योतिबा फुले
●•● आपको लगता है भगवान और भक्तों के बीच किसी के मध्यस्था की आवश्यकता है।
ज्योतिबा फुले
●•● ब्राह्मण दावा करते हैं कि वो ब्रह्मा के मुख से पैदा हुए हैं, तो क्या ब्रह्मा के मुख में गर्भ ठहरा था ? ,क्या महावारी भी ब्रह्मा के मुख में आई थी ? ,और अगर जन्म दे दिया तो ब्रह्मा ने शिशु को स्तनपान कैसे कराया ?
ज्योतिबा फुले
●•● अगर कोई किसी प्रकार का सहयोग करता है , तो उससे मुंह मत मोड़िए।
ज्योतिबा फुले
●•● मंदिरों में स्थित देवगण ब्राह्मण पुरोहितों का ढकोसला है।
ज्योतिबा फुले
●•● शिक्षा स्त्री और पुरुष की प्राथमिक आवश्यकता है।
ज्योतिबा फुले
●•● अच्छा काम करने के लिए गलत उपयों का सहारा नहीं लेना चाहिए।
ज्योतिबा फुले
●•● मंदिरों के देवी – देवता ब्राह्मण का ढकोसला हैं. दुनिया बनाने वाला एक पत्थर विशेष या खास जगह तक ही सीमित कैसे हो सकता है? जिस पत्थर से सड़क , मकान वगैरह बनाया जाते है उसमें देवता कैसे हो सकते हैं।
ज्योतिबा फुले
●•● स्वार्थ अलग अलग रुप धारण करता है . कभी जाती का , तो कभी धर्म का।
ज्योतिबा फुले
●•● भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक संभव नहीं है , जब तक खान – पीन एव वैवाहिक संबंधों पर जातीय भेदभाव बने रहेंगे।
ज्योतिबा फुले
●•● संसार का निर्माणकर्ता एक पत्थर विशेष या स्थान विशेष तक ही सीमित कैसे हो सकता है।
ज्योतिबा फुले
●•● बाल काटना नाई का धर्म नहीं, धंधा है। चमड़े की सिलाई करना मोची का धर्म नहीं, धंधा है। इसी प्रकार पूजा -पाठ करना ब्राह्मण का धर्म नहीं, धंधा है।
ज्योतिबा फुले
●•● आर्थिक विषमता के कारण किसानों का जीवन स्तर अस्त व्यस्त हो गया है।
ज्योतिबा फुले
●•● यदि आजादी, समानता, मानवता, आर्थिक न्याय, शोषणरहित मूल्यों और भाईचारे पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना है तो असमान और शोषक समाज को उखाड़ फेंकना होगा।
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