उनकी आंखें जन्म से ही रोशनी नहीं देख पाती, वे पूरी तरह से नेत्रहीन हैं, फिर भी वे अपने आत्मबल का प्रयोग करके भारतीय विदेश सेवा(IFS )में अपना नाम रोशन कर रही हैं। यह नेत्रहीन महिला आज देश की विदेश सेवा का गौरव है। हम चेन्नई की रहने वाली भारत की पहली महिला इंडियन फॉरेन सर्विस ऑफिसर (IFS) बेनो जेफिन की चर्चा कर रहे हैं। बेनो ने वर्ष 2015 में इस उपलब्धि को हासिल करके इतिहास बनाया, लेकिन आज भी वे यूपीएससी परीक्षा के लिए मेहनत करने वाले करोड़ों अभ्यर्थियों की प्रेरणा हैं और हमेशा रहेंगे। आज हम आपको एनएल बेनो जेफिन की सफलता और और उनके यूपीएससी के सफर की कहानी बताएंगे।
बेनो जेफिन एक नेत्रहीन महिला हैं, जो भारतीय विदेश मंत्रालय में अफसर के पद पर काम कर रही हैं। उन्होंने UPSC परीक्षा में 343वीं रैंक हासिल करके भारतीय प्रशासनिक सेवा में नियुक्त होने का इतिहास रचा है। जहां आधे अंधे व्यक्ति को भी इस सेवा के लिए योग्य नहीं माना जाता है, वहां पूरी तरह से नेत्रहीन महिला का चयन होना एक अद्भुत उपलब्धि है।
बेनो जेफिन का शुरुआती जीवन और परिवार
Beno एक उज्ज्वल छात्रा थी जो बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थी। उनके पिता, ल्यूक एंथनी चार्ल्स, भारतीय रेलवे में कर्मचारी थे, जबकि उनकी मां, मैरी पदमजा होम मेकर थीं। Beno ने चेन्नई में स्थित Little Flower Convent Higher Secondary School से अपनी स्कूलिंग पूरी की थी। वह हमेशा अपनी पढ़ाई में ध्यान देती थी और अपने बचपन के दिनों में स्कूल में अपना पहला भाषण भी दिया था। उनका भाषण जवाहरलाल नेहरू के बारे में था और उन्हें इसके लिए पहला पुरस्कार मिला था।
Beno ने Stella Maris College से अपना स्नातक किया और Loyola College से अपना पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा किया। एक इंटरव्यू में, Beno Jefine ने कहा, “मेरे परिवार ने कभी भी मुझे विकलांग होने का अहसास नहीं दिलाया। मेरा स्कूल जीवन बहुत अच्छा था और मेरे स्कूल में सभी शिक्षक ने मेरे हर कदम पर मेरा साथ दिया।”
स्कूल के दिनों में ही सोच लिया था प्रशासनिक सेवा में ही भविष्य बनाना है।
बेनो ने बताया कि उन्होंने स्कूल के दिनों में ही भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का सोच लिया था। उन्होंने इसके लिए ब्रेल में लिखी गई किताबों को ढूंढा। उन्होंने चेन्नई में रहते हुए आईएएस की तैयारी की। उन्होंने कंप्यूटर में ऐसे सॉफ्टवेयर डालवाए जो आवाज पर काम करते हैं, जिनको सुनकर वे इंटरनेट से अपनी तैयारी के लिए सामग्री ढूंढ पाई। उनकी मां पद्मजा उन्हें संघर्ष करते रहने की सलाह देती रहीं।
वे हर दिन उन्हें अखबार पढ़कर सुनाती थीं। उन्होंने उन्हें सामान्य ज्ञान की किताबें पढ़कर सुनाईं। उनके पिता ने उनके लिए ब्रेल में उपलब्ध सामग्री की व्यवस्था की। उन्होंने टीवी पर न्यूज़ सुनी। इससे उन्हें बातों को याद रखना आसान हो गया। उन्होंने ब्रेल लिपि में लिखी गई तमिल और अंग्रेजी की किताबें से पढ़ाई की।
रेवेन्यू ऑफिसर से मिली प्रेरणा
Beno Jefin ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक रेवेन्यू ऑफिसर की नियुक्ति से मिली प्रेरणा के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने सुना था कि एक रेवेन्यू ऑफिसर की नियुक्ति हुई थी, जिसने एक्सीडेंट में अपनी एक आंख खो दी थी। इस घटना ने उनकी आस बंधे रखी थी।
जिसके कारण वे पूरे मन से परीक्षा की तैयारी कर रही थी। नेत्रहीनता उनके रास्ते में सबसे बड़ी बाधा थी। बेनो ने साल 2013-14 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी। उन्हें इस परीक्षा में 343 रैंक मिला था, रैंक के अनुसार उन्हें आईएफएस ऑफिसर की नियुक्ति की जानी थी, लेकिन नेत्रहीनता के कारण उनकी नियुक्ति एक साल तक लटकी रही।
वर्ष 2015 में उन्हें फॉरेन मिनिस्ट्री में नियुक्ति मिली थी। बेनो पहली ऐसी नेत्रहीन ऑफिसर हैं, जिन्हें विदेश विभाग में नियुक्ति मिली थी। बेनो ने कहा कि जब मैंने आईएफएस परीक्षा क्लीयर कर ली और साक्षात्कार के दौरान पूछे गए सभी सवालों के सही जवाब दिए थे, तब मिनिस्ट्री ने भी अपनी पॉलिसियों में लचीलापन लाकर मेरा सपोर्ट किया और मैं विदेश मंत्रालय में नियुक्त की गई। मुझसे इंटरव्यू में विदेश नीति और भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में ज्यादातर सवाल पूछे गए थे।