कुछ भी असंभव नहीं है, अगर हमारा मन ठान ले और हम मेहनत करें। इस बात को अखिला बीएस ने अपने जीवन में जीते जी दिखा दिया है। वह केरल की रहने वाली हैं और सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 760वां स्थान प्राप्त किया है।
उन्होंने अपनी विकलांगता को अपने सपनों के रास्ते में रुकावट नहीं होने दिया। जब वह पांच साल की थीं, तब एक बस हादसे में उन्होंने अपना दायां हाथ खो दिया था, लेकिन उन्होंने देश की सर्वोच्च परीक्षा में अद्भुत प्रदर्शन किया।
जब इलाज करने से किया मना
एक बस के हादसे में अपना दायां हाथ खोने वाली अखिला ने अपने जीवन को नया मोड़ दिया है। वह कॉटन हिल सरकारी बालिका उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक बुहारी और सजीना बीवी की बेटी हैं। उनका एक्सिटेंड 11 सितंबर, 2000 को हुआ था, जब वह सिर्फ पांच साल की थीं। उन्हें जर्मनी के विशेषज्ञों के पास भेजने का सुझाव दिया गया था, परंतु जब वहां की एक चिकित्सा दल भारत आई तो उन्होंने उनका इलाज करने से इनकार कर दिया।
अखिला की शिक्षा
बाएं हाथ से ही अखिला ने अपने जीवन के सभी काम निभाए। उसने अपनी पढ़ाई को नहीं छोड़ा और बाएं हाथ से ही लिखना सीखा। उसने अपनी बोर्ड परीक्षा में श्रेष्ठ गुणांक प्राप्त किए। अखिला ने आईआईटी मद्रास से एक संयुक्त एमए का डिग्री हासिल किया और फिर उसने सिविल सेवा की ओर बढ़ा कदम
Upsc के लिए प्रयास
अखिला ने तीसरी बार अपना साहस दिखाया। उसने पहले दो बार प्रीलिम्स पास कर लिए थे। वह अपनी कहानी बांटते हुए बताई कि वह बहुत प्रसन्न है और उन लोगों का शुक्रिया अदा करती है, जिन्होंने उसका साथ दिया। अखिला ने यह भी बताया कि उसके एक गुरु ने उसे कलेक्टर बनने का सपना दिखाया और उसे यूपीएससी की परीक्षा के लिए उत्साहित किया।
दर्द के साथ बड़ी मुश्किल से परीक्षा दी
अखिला ने बताया कि यह एक लंबा सफर था और इसमें बहुत मेहनत लगी। उन्हे लंबे इंटरवल तक सीधा बैठना भी कठिन था। उन्हे परीक्षा में तीन या चार घंटे तक बिना रुके बैठना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपना बायां हाथ इस्तेमाल करना और कमर दर्द का सामना करना पड़ा, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती था।
अखिला ने बताया कि उन्हें तीन-चार घंटे तक लिखना पड़ता था, जिससे वह थक जाती थी और उनका शरीर दर्द करने लगता था। उन्हे चौथी मुख्य परीक्षा में तीन दिन लगातार लिखना भी पड़ा। यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। उनका सपना आईएएस बनना था। उन्होंने ठान लिया था कि वह अगली परीक्षा के लिए तैयार होगी और जब तक वह अपनी इच्छित सेवा में नहीं आती, तब तक वह लगे रहेगी। उन्होंने निश्चय किया कि वह पूरी मेहनत करेंगी।
अखिला ने बताया कि उसने बैंगलोर के एक संस्थान से एक साल की कोचिंग ली थी। फिर वह केरल लौट आई और तिरुवनंतपुरम में एक और संस्थान से उनकी सहायता ली। वह यह भी कहती है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में उन्हें बहुत से मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा, जिसके लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी।
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