किसी भी चुनौती को पार करने के लिए आप में उस काम के प्रति लगन और हिम्मत होनी चाहिए। बिहार के अनिल बसाक ने इसे अपने जीवन में दिखाया है। उन्होंने बार-बार कोशिश करते हुए संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 45वां स्थान प्राप्त किया है। वे अब एक आईएएस अधिकारी हैं, जिनकी सफलता की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है।
अनिल का प्रारंभिक जीवन और परिवार
अनिल एक साधारण इंसान हैं, जो बिहार के किशनगंज का निवासी हैं। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई के बाद जेईई मेंस का लक्ष्य बनाया और फिर एडवांस परीक्षा उत्तीर्ण करके आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिल लिया। अनिल के चार भाई-बहन हैं, जिनमें वे दूसरे नंबर के हैं। उनके पिता (बिनोद बसाक) गांवों में जाकर कपड़े बेचते हैं। इसलिए उनके पास घर का खर्च चलाने के लिए बस इतनी ही आमदनी होती है।
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अनिल की शिक्षा
अनिल ने अपने लक्ष्य को पाने के लिए अपनी मेहनत और योग्यता का सहारा लिया। उन्होंने पहले गांव में स्कूल जाकर पढ़ाई पूरी की और फिर 2014 में आईआईटी (IIT) दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स किया।
अनिल एक सामान्य परिवार हैं, जो बिहार के किशनगंज में रहते हैं। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत में कई कठिनाइयों का सामना किया, जब उनके पिता विनोद बसाक गांवों में जाकर कपड़े बेचते थे। तब अनिल ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए रात-दिन पढ़ाई करते रहे और परीक्षा की तैयारी में लगे रहे।
प्री भी नहीं निकल सका पहले प्रयास में
2016 से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 2018 में उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, लेकिन उन्होंने नौकरी की बजाय यूपीएससी को ही अपना लक्ष्य बनाया। उनका पहला प्रयास असफल रहा। उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। लेकिन अनिल ने हार नहीं मानी और फिर से पढ़ाई में लग गए। अपने दूसरा प्रयास में उन्हें 616वां स्थान मिला। उनके परिवार और गांव ने उनकी सफलता का उत्सव मनाया, पर अनिल खुश नहीं थे, क्योंकि उनका सपना IAS अधिकारी बनना था।
तीसरे प्रयास में बने IAS
वह दूसरे प्रयास में 616वां स्थान हासिल किया और आईआरएस में चयनित हुए। उन्होंने सरकारी नौकरी शुरू करने के बाद एक साल अवकाश लेकर 2020 में यूपीएससी परीक्षा फिर से दी। यूपीएससी परीक्षा 2020 में 45वीं रैंक पाकर वे आईएएस अधिकारी बन गए. अभी वे नालंदा में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर तैनात हैं।
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