Gauhar Hasan ips success story in Hindi: यूपीएससी परीक्षा में सफल होने के लिए लोगों की कहानियां अलग-अलग होती हैं. कुछ लोगों को तो पहली ही बार में कामयाबी मिल जाती है, जबकि कुछ लोगों को आखिरी कोशिश तक मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन जो भी हो, इस प्रक्रिया में बिताए गए साल कैंडिडेट की व्यक्तिगत विकास में बहुत मदद करते हैं.
यही बात उन सफल कैंडिडेट्स की जुबानी सुनने को मिलती है, जिन्होंने इन सालों में अपनी जिंदगी को एक नया मोड़ दिया है. बिहार के गौहर हसन भी ऐसे ही एक कैंडिडेट हैं, जिन्हें इस परीक्षा में सफल होने के लिए पांच बार कोशिश करनी पड़ी और सात साल लग गए. लेकिन उनका कहना है कि उन्हें इन सालों का कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि उन्होंने अपनी भूलों से सीखा और लगातार प्रयास करते रहे, जब तक उन्हें अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ. दिल्ली नॉलेज ट्रैक के साथ अपने इंटरव्यू में गौहर ने अपने पांच प्रयासों का अनुभव बताया
गौहर हसन का शुरुआती जीवन और शिक्षा
गौहर हसन का जन्म और बचपन बिहार में बीता और उन्होंने यहीं अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की. दसवीं कक्षा के बाद वे दिल्ली चले आए और जामिया मिलिया इस्लामिया से कंप्यूटर का डिप्लोमा किया. फिर उन्हें एक कंपनी में काम मिला और वे वहीं लग गए. लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और जामिया की शाम की कक्षाओं में बीई करने लगे. उनके मन में सीएसई परीक्षा देने की इच्छा भी जाग उठी और वे अपने ग्रेजुएशन के आखिरी साल से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी. पहले तो वे नौकरी और तैयारी दोनों को संभालने की कोशिश करते रहे लेकिन बाद में उन्हें जॉब त्यागनी पड़ी और वे तैयारी पर पूरा ध्यान देने लगे।
Upsc परीक्षा में कई बार असफल हुए फिर बने आईपीएस
गौहर हसन को यूपीएससी परीक्षा में सफल होने के लिए कई बार निराशा का सामना करना पड़ा. वे अपने आप पर भरोसा रखते हुए लगातार मेहनत करते रहे, लेकिन उनका प्रत्येक प्रयास विफल रहा. उनकी असफलता का इतिहास इस प्रकार है. पहले प्रयास में वे प्रीलिम्स तक भी नहीं पहुंच पाए. फिर उन्होंने चार बार और प्रयास किया, जिसमें वे प्रीलिम्स उत्तीर्ण कर गए. लेकिन अगले दो प्रयासों में वे मेन्स में अटक गए. चौथे प्रयास में वे इंटरव्यू तक गए, लेकिन फाइनल लिस्ट में उनका नाम नहीं था. गौहर ने इन सबको अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और पांचवें प्रयास में अंतिम रूप से सफलता हासिल की. वे 137वें रैंक पर चयनित हुए और आईपीएस की सेवा मिली. गौहर का यह सफर बहुत लंबा और सीखने वाला रहा.
अभ्यर्थियों को यह दी सलाह
गौहर ने कैंडिडेट्स को यह सलाह दी है कि वे अपने सोर्स को कम रखें. एक ही विषय को बार-बार अलग-अलग किताबों से न पढ़कर एक ही किताब को बार-बार पढ़ें. इससे उन्हें ज्यादा फायदा होगा. वे कहते हैं कि जितना नॉलेज आपको जरूरत है, वह एक ही सोर्स से मिल जाता है. आपको तो किसी भी विषय पर ज्यादा से ज्यादा दो-तीन पन्ने ही लिखने हैं.
गौहर ने यह भी कहा है कि वे ही किताबें दोहराएं और सिलेबस के अनुसार ही विषय याद करें. वे इस बात पर जोर देते हैं कि सिलेबस के बाहर का हिस्सा न पढ़ें. न्यूज पेपर को भी ध्यान से पढ़ें और इसे रोजाना का आदत बनाएं. पेपर से लेकर बुक्स तक का जो भी महत्वपूर्ण हो, उसके नोट्स बना लें, ताकि रिवीजन में आराम से पढ़ सकें. जहां तक किताबों का सवाल है, तो गौहर ने स्टैंडर्ड बुक्स ही अपना साथी बनाया था.
गौहर ने कहा है कि प्री परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए मॉक टेस्ट बहुत जरूरी हैं. इससे आप अपनी कमियां पहचान सकते हैं और उन्हें सुधार सकते हैं. उसी तरह, मेन्स परीक्षा में आंसर राइटिंग का भी बहुत महत्व है. इसलिए जब आपकी तैयारी एक स्तर तक पूरी हो जाए, तो आंसर लिखने की अभ्यास करें. यही आंसर आपको उच्च नंबर दिलाएंगे.
सच तो यह है कि परीक्षा के लिए पढ़ना तो सब करते हैं, लेकिन पढ़ा हुआ लिखना हर किसी का काम नहीं होता. इसलिए बहुत सारे आंसर लिखें और उन्हें अपने शिक्षकों से जांच भी करवाएं. इससे आप अपनी गलतियों को दूर कर सकेंगे. अपने दोस्तों के साथ भी आंसरों पर बातचीत करें और उनमें बेहतरी लाएं. अगर आप सही सोर्सेस, मेहनत और रणनीति के साथ पढ़ेंगे, तो आप भी इस परीक्षा में कामयाब हो सकते हैं.
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