एक डरपोक चूहे की कहानी – Hindi Moral story on Fear
Hindi short moral story on fear
एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था जिसके नीचे एक चूहा बिल बनाकर रहता था। वह चूहा बिल्ली के डर से अपने बिल में डरा सहमा हुआ रहता था और केवल बहुत जरूरत पड़ने पर ही अपने बिल से बाहर जाता था। वह चूहा बिल्ली से इतना डरा हुआ था कि वह बाहर जाने का साहस भी नहीं कर पाता था वह अपने किसी साथी चूहे को अपने साथ लेकर ही जाता था।
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एक बार उसे जरूरी काम से बाहर जाना था परंतु उसके साथी मित्रों में से उस वक्त कोई भी नहीं था उसका जाना जरूरी था इसलिए उसने एक अनजान चूहे को अपनी समस्या बताई वह अनजान चूहा उसके साथ जाने को तैयार हो गया उस चूहे के साथ कुछ समय बिताने के बाद उस अनजान चूहे को महसूस हुआ कि वह कुछ ज्यादा ही डरा हुआ रहता है अनजान चूहे ने उससे कहा कि तुम इतने डरे हुए क्यों रहते हो? क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूं? उसने कहा कि मुझे बिल्ली से बहुत डर लगता है उस अनजान चूहे ने कहा मेरे पास कुछ ऐसी शक्तियां हैं जिससे मैं तुम्हारा रूप बदलकर बिल्ली बना सकता हूं उस अनजान चूहे की ऐसी बात सुनकर वह बहुत खुश हो गया और खुद को बिल्ली बनाने को कहने लगा अनजान चूहे ने उसे बिल्ली बना दिया।
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डरपोक चूहा बहुत खुश था क्योंकि उसे बिल्ली का डर नहीं था वह अब अकेले बाहर जा सकता था अपने साथी मित्रों के साथ खेल सकता था कुछ दिन तक वह बाहर गया तो कुछ नहीं हुआ लेकिन एक दिन कुछ कुत्ते उसके पीछे पड़ गए उसे कुत्ते से डर लगने लगा। वह फिर उसी अनजान चूहे के पास गया और अपना दुखड़ा रोने लगा अनजान चूहे को उस पर दया आ गई और उसे कुत्ता बना दिया। वह सुबह जैसे ही कुत्ता बनकर जंगल में गया शेर उसे खाने के लिए दौड़ने लगा ओर अब वह शेर से डरने लगा और फिर वह उसी अनजान चूहेे पास गया अनजान चूहे ने उसे फिर से शेर बना दिया अब चूहे को लगा कि अब उसे किसी का भी डर नहीं लगेगा क्योंकि अब वह जंगल का राजा बन चुका था।
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शेर बनकर जैसे ही वह जंगल में गया तो उसके पीछे शिकारी पड़ गए अब वह बहुत मुश्किल से जान बचाकर भागा अब उसे बहुत डर लग रहा था क्योंकि अब वह जब भी बाहर जाता है शिकारी उसके पीछे पड़ जाते हैं बड़ा शरीर होने के कारण अब उसे छिपने में भी परेशानी होती थी वह दुखी होकर फिर से उसी अनजान चूहे के पास गया और अपनी समस्या बताई तो अनजान चूहे ने कहा मैं अपनी शक्तियों का प्रयोग करके तुम्हें चाहे कुछ भी बना दूं पर फिर भी तुम्हारी कोई मदद नहीं करेगा तुम चाहे जो कुछ भी बन जाओ डर तुम्हें फिर भी लगेगा क्योंकि तुम्हारा डर तुम्हारे दिल से जुड़ा है तुम्हारा दिल हमेशा उस डरपोक चूहे वाला ही रहेगा मैं उसको अपनी शक्ति से नहीं बदल सकता उस डर को तुम्हें खुद ही खत्म करना पड़ेगा।
उस चूहे को सब कुछ समझ में आ गया था क्योंकि अब वह जान गया था डर उसके अंदर ही है और उसने अपने आप को बदल कर डर के बिना जीने का संकल्प किया और फिर से वह चूहा बन गया।
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कहानी से मिली सीख
आप में बहुत से लोग होंगे जिनकी जिंदगी की यही हकीकत है आप हमेशा किसी डर या खौफ में जीते हैं एक परीक्षार्थी को परीक्षा देने में डर लगता है, जॉब करने वाले को अपने बॉस से डर लगता है, मां बाप को अपने बच्चों से बिछड़ने का डर लगता है, कुछ लोगों को मौत से डर लगता है, दोस्तों मुझे पता है डर सबको लगता है जो लोग जीवन में सफल होते हैं डर उनको भी लगता है लेकिन वह अपने डर को खुद पर हावी नहीं होने देते वह उनका सामना करते हैं और तभी तो अपने जीवन में सफल होते हैं डर एक ऐसी बीमारी है जो हमें कभी उस मुकाम पर नहीं पहुंचने देता। क्योंकि डर कर हम अपने फैसले बदल लेते हैं अगर जिंदगी में आगे बढ़ना है तो अपने डर को छोड़कर आगे बढ़ना होगा।