किसी भी काम मे स्थिरता (Consistency ) कैसे लाएं – consistency in hindi
अगर कोई एक सलाह मुझे आप को देनी होगी फिर चाहे आप किसी भी फील्ड में हो चाहे आपको अपना काम नापसंद ही क्यों ना हो चाहे आपको ऐसा लगता हो कि आप टैलेंटेड हो या नहीं, सबसे कारगर और ताकतवर सलाह होगी कि आप अपने अंदर consistency (स्थिरता) लेकर आइये। consistency शब्द का उद्गम बड़ा ही इंटरेस्टिंग है इसका प्रयोग आज से 1500 साल पहले लेटिन भाषा में हुआ था consistere, con का मतलब होता है साथ sistere जिसका मतलब है स्थिर रहना या दृढ़ रहना।
consistency का मतलब है कि जो छोटे से छोटा बदलाव आप लाना चाहते हैं उसके साथ स्थिर बने रहना भले ही वह कितना भी छोटा बदलाव क्यों ना हो अगर आपके पास कंसिस्टेंसी है तो बदलाव आने लगते हैं दूर से देखने पर लगता है कि जादू हो गया या फिर कंसिस्टेंसी को आप इस तरह भी समझ सकते हैं जैसे आप TV पर कोई शो देखते हैं अगर वह शो एक टाइम पर ना आकर किसी भी दिन किसी भी टाइम पर आता हो तो क्या आप उस शो को देखना पसंद करेंगे.. नहीं ना.. इसलिए क्योंकि यह शो कभी टाइम पर आता ही नहीं ओर इसलिए आपकी इस शो को देखने की आदत ही नही बन पाई क्योंकि यहाँ कोई कंसिस्टेंसी (स्थिरता) ही नही है टाइम को लेकर, ठीक इसी तरह जब आप कोई भी काम कभी भी करते हो तो आप वह काम ज्यादा दिन तक नही कर पाते क्योंकि आपके काम मे कंसिस्टेंसी (स्थिरता) ही नही है।
consistency इतनी ताकतवर क्यों है?
क्योंकि यह आईडेंटिटी शिफ्ट कर देती है जब हम कुछ हरकतें किन्ही कारणों से कंसिस्टेंटली करना शुरू कर देते हैं, या फिर कंसिस्टेंटली करना सीखते हैं तो हमारे अंदर एक सुपर पावर जाग जाती है जो हैबिट से कई बड़ी है जिसे हम बिलीफ कहते हैं हमको विश्वास हो जाता है कि मैं छोटे ही सही लेकिन अपनी मर्जी से अपने बिहेवियर में बदलाव ला सकता हूं, मैं खुद को डायरेक्शन दे सकता हूं, आप किसी 50 साल के ऊपर के अंकल जो बहुत शराब पीता हो उनको आप समझा कर देख सकते हैं कि अंकल आप शराब छोड़ दो तो वह कहेंगे कि बेटा इन सब चीजों से कुछ नहीं होगा हमने भी दुनिया देखी है। असल में यह अंकल भी कंसिस्टेंसी के शिकार हैं यह जानते हुए भी किय गलत आदत है इसे बार-बार दोहरा कर वह अपनी आईडेंटिटी अनजाने में ही शिफ्ट कर चुके हैं उन्हें विश्वास हो चुका है कि मैं कमजोर हूं पुरानी आदतें नहीं बदल सकता कंसिस्टेंसी दो धारी तलवार है। इसी बात से अगले पॉइंट पर आते हैं जो नेगेटिव टोन से शुरू होता है।
केवल एक चीज से किसी का जीवन खराब हो जाता है कोई अगर यह चीज करता है तो वह अपना नुकसान खुद कर लेता है वह हमेशा जिंदगी भर दुखी रहेगा और आसपास भी कष्ट देगा और वह चीज है distraction क्योंकि जब हम distract होते हैं तो ना केवल आप अपना समय और एनर्जी वेस्ट करते हैं हम अंदर ही अंदर दुखी भी होते हैं क्योंकि “distracted mind is an unhappy mind” हमारे एक्शन में हमारे उद्देश्य में कंसिस्टेंसी नहीं हैं तो हर दिन सोचना पड़ता है कि कहां से शुरू करें और पूरा दिन भटकते हुए निकल जाता है ऐसी स्थिति में हम कितने ही टैलेंटेड क्यों ना हो पूरी एनर्जी बस शुरू करने में ही निकल जाएगी खत्म तो हम कुछ कर ही नहीं पाएंगे और जब तक हम कुछ खत्म नहीं करते तब तक हमें कोई फीडबैक नहीं मिलता हम कुछ सीख नहीं पाते जब तक हम अपने काम से कुछ सीख नहीं लेते तब तक हम अपने अंदर सोए हुए टैलेंट को निकाल नहीं सकते और ना ही हमें कॉन्फिडेंस और संतुष्टि महसूस होती है कंसिस्टेंसी की सबसे बड़ी खासियत है मोमेंटम अगर आप मुझसे पूछे कि किसी एग्जाम के लिए लॉजिकल या मैथ वाला पार्ट कंप्लीट करना है तो मैं कहूंगा किसी भी तरह की रीजनिंग लॉजिकल एनालिटिकल या वर्बल चैप्टर नहीं है बल्कि एक कला है जिसमें हम कम समय में कुछ खास तरह से सोच कर पांच दिए गए ऑप्शन में से एक सही ऑप्शन चुनते हैं इसे 1 दिन में तो रटा नहीं जा सकता लेकिन अगर आपके पीछे मोमेंटम है तो कोई भी कला सीखी जा सकती है।
Consistency(स्थिरता) हमारे काम में गति(मोमेंटम) बनाती है।
यदि आप एक राइटर हैं ओर किताबें या अपना कोई ब्लॉग लिखते हैं ओर मुझसे लिखने का तरीका पूछते हैं तो में कहूंगा यह सरल है लेकिन आसान नही है। आप रोज थोड़ा थोड़ा लिखिए इस से फर्क नही पड़ता कि आप अच्छा लिख रहे हैं या खराब या फिर आपका मूड है या नही लिखने का। मायने यह रखता है कि आप कोशिश कर रहे हैं इसे अपनी आदत में लाने की।
अभी आपने लिखने की शुरुआत की है तो रोज़ 200 शब्द लिखने से अच्छा है कि आप हफ्ते में 1000 शब्द ही लिखें ओर यह अच्छा होगा क्योंकि इससे हम दिन में, एक घण्टे में 15 मिनट के लिए ही सही हम इसका अभ्यास तो कर रहें हैं और इसे अपनी आदत में ला रहें है ओर यही हमे किसी भी काम को करने में गति(मोमेंटम) प्रदान करता है जो कि किसी भी स्टार्टअप की शुरुआत करने में बोहोत महत्वपूर्ण है।
कोई भी कला सीखने के लिए हमें छोटे-छोटे ब्रेक थ्रू चाहिए यहां छोटे-छोटे ब्रेकथ्रू का मतलब है छोटे माइक्रो लेवल से बड़े पर जंप करना। जब आप कोई प्रॉब्लम बिना किसी मदद के दिमाग में आने वाले तरीकों से को सॉल्व करने की कोशिश करते हो या कभी कभार बहुत कठिन क्वेश्चन को सॉल्व कर भी लेते हो और फिर उसे दूसरे दिए गए तरीके से कंपेयर करके असरदार तरीका सीखते हो तो उसे कहते हैं ब्रेक थ्रू। जैसे जब हम कोई गाना, सीखना शुरू करते हैं तब हमारे गले के ऊपर और नीचे वाले स्वर नहीं खुले होते हैं ज्यादा जोर लगाने से गला बैठ जाता है लेकिन प्रैक्टिस करते करते यह समझ आ जाता है बहुत ज्यादा ताकत नहीं लगानी और कई दिनों की प्रैक्टिस से धीरे-धीरे गले का स्वर खुलना शुरू हो जाता है। ब्रेक थ्रू पाने के लिए आपको एक चीज पर लगातार एफर्ट चाहिए कंसंट्रेशन चाहिए इस पूरी प्रक्रिया को हम कह सकते हैं मोमेंटम इसीलिए साइंटिस्ट, राइटर, कलाकार एक ही प्रॉब्लम पर या कला के एक आयाम पर हर दिन अलग-अलग तरीके से काम करना या सोचना पसंद करते हैं क्योंकि वह अगले लेवल पर जाने के लिए मोमेंटम बना रहे होते हैं और यह मोमेंटम बिना कंसिस्टेंसी के नहीं आ सकता
जापान के प्रसिद्ध लेखक Haruki murakami जिनकी किताबें और कहानियां पूरे विश्व में पसंद की जाती हैं वह एक इंटरव्यू में बताते हैं कि जिस दिन में नोबेल लिख रहा होता हूं मैं हर दिन 4:00 बजे उठता हूं पहले 5 से 6 घंटे काम करता हूं फिर 10 किलोमीटर दौड़ने चला जाता हूं या पंद्रह सौ मीटर तैरता हूं घर आकर खाना खाता हूं आराम करता हूं फिर शाम तक काम करता हूं रात को थोड़ा म्यूजिक सुनता हूं और पढ़ता हूं और हर दिन ठीक रात 9:00 बजे सो जाता हूं मैं हर दिन अपना रूटीन एक जैसा रखता हूं ऐसा करने से मन का भटकना हर दिन कम होने लगता है और क्रिएटिविटी अपने आप बढ़ जाती है Haruki marakumi आगे एक बात कहते हैं “लेकिन ऐसा करने के लिए बहुत मेंटल स्ट्रैंथ चाहिए” मेंटल स्ट्रैंथ का सच्चा इंडिकेटर या परिमाण ही कंसिस्टेंसी है अगर आप मापना चाहते हो कि आप कितने जुझारू हो तो आप अपने कठिन ओर जरूरी रूटीन की कंसिस्टेंसी देख लीजिए लेकिन Haruki marakumi यह नहीं कहते कि यह रूटीन उन्हें खुद विकसित करने में कितने साल लगे जरूरी है कोशिश करते रहना एक बार टूटे तो फिर शुरू करते रहना क्योंकि कंसिस्टेंसी एक बार का खेल नहीं है बल्कि लाइफ लोंग प्रोसेस है haruki marakumi की तरह आप कंसिस्टेंसी पर जितने भी एग्जांपल देखेंगे यह सुबह उठकर सबसे पहले अपने जरूरी काम करते हैं क्योंकि सुबह will power सबसे ज्यादा होती है कठिन और सबसे जरूरी काम करना आसान होता है कंसिस्टेंसी हमारी will power से ही बढ़ती है।