लक्ष्य(गोल) कैसे बनाये ओर हासिल करें – How to make goals in hindi
आपको अपने गोल को पेपर पर क्यों लिखना चाहिए? तो देखते हैं यहां इसका एक साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट।
Dominican university of California के एक साइकोलॉजी प्रोफेसर हैं उन्होंने कागज पर गोल्स को लिखने के ऊपर बहुत सारे रिसर्च किए हैं, उनकी एक एक्सपेरिमेंट में 267 लोगों को लिया गया था जिसमें लड़का और लड़की दोनों शामिल थे और हर तरह के लोगों को लिया गया था उसमें स्टूडेंट्स और ग्रेजुएट सब शामिल थे 267 लोगों को दो भागों में बांटा गया, आधे लोगों को यह कहा गया कि तुम अपनी इच्छा को पेपर पर लिखना और उस पेपर को हमेशा अपनी डेस्क पर ही रखना ताकि दिन में कम से कम एक बार तुम्हारी नजर उस पर पड़ती रहे ताकि तुम्हें अपने गोल्स हमेशा याद रहे और दूसरे ग्रुप के लोगों को कहा गया कि तुम अपने गोल्स को हमेशा सिर्फ दिमाग में ही याद रखना
तो एक्सपेरिमेंट के बाद यह रिजल्ट आया कि जो लोग अपने गोल्स को पेपर पर लिखते थे उन लोगों ने ज्यादातर अपनी इच्छाओं को पूरा कर लिया वह भी कम समय में ओर जो लोग नहीं लिखते थे उसमें से ज्यादातर लोग वैसे ही रह गए जैसे वह पहले थे वह अपने केवल एक या दो गोल्स ही पूरा कर पाए फाइनल रिजल्ट यह निकला वह भी साइंटिफिकली पूरी तरह से प्रूव्ड कि आपकी 42% चांसेस बढ़ जाती है कि जो आप चाहते हो वह आप कर लोगे अगर आपने उसे पेपर पर लिखना शुरू कर दिया तो, लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है?
इसका वैज्ञानिक रीजन यह है, कि जब आप अपनी इच्छा मकसद या गोल को अपने दिमाग में ही रखते हो तो आप अपने दिमाग का राइट ब्रेन मतलब दिमाग के दाएं हिस्से का इस्तेमाल करते हो आपके दिमाग का दायां हिस्सा इमेजीनिटिव होता है इसलिए जब आप अपने सपने के बारे में सोचते हो तब आपका राइट ब्रेन सक्रिय हो जाता है पर बात यह है कि आप अपनी इच्छाओं को तभी पूरा कर पाओगे, जब आपको आपका दिमाग ऊर्जा और मोटिवेशन देगा ओर यह तभी होगा जब आप अपने दिमाग का पूरा इस्तेमाल करोगे मतलब जब आप का दाया ब्रेन और बाया ब्रेन दोनों ऑन होंगे तभी आपको पूरी ऊर्जा मिलेगी।
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क्योंकि जब आप अपने गोल्स को पेपर में लिखते हो तब आपका लेफ्ट ब्रेन मतलब बाया दिमाग भी, जो कि एक लॉजिकल दिमाग भी है वह भी एक्टिव हो जाता है क्योंकि जब आप अपनी इच्छाओं और गोल्स को पेपर पर लिखोगे तब दिमाग को यह सिग्नल जाता है कि यह बहुत सीरियस चीज है आपके लिए, तभी तो आप इसे पेपर पर लिख रहे हो जैसा कि मैंने पहले बताया मतलब बात यह है कि जब आप अपनी इच्छाओं के बारे में सोचोगे तब राइट ब्रेन ऑन होगा और जब उन इच्छाओं को पेपर पर लिखोगे तो लेफ्ट ब्रेन ऑन होगा और जब दोनों ब्रेन ओन होकर साथ में काम करेंगे तब आपको वह एनर्जी मिलेगी जो कि सामान्य लोगों को नहीं मिलती।
सबसे जरूरी बात यह है कि आप में से कई लोग ऐसे होंगे जिनको अपना गोल ही नहीं पता होगा जिंदगी जैसी चल रही है चलने दो यह वाली सोच लेकर बहुत से लोग जी रहे हैं पर ऐसी सोच से कुछ भी हासिल नहीं होगा तो उन एक्सपेरिमेंट्स से आपको यह सीखना होगा की अगले कुछ सालों में आपको क्या करना है यह आपको क्लीयरली पता होना चाहिए कि आपका मकसद क्या है पहले अपने गोल्स तय करो तभी तो उनको पेपर पर लिख पाओगे ज्यादातर लोग बिना गोल्स के चलते हैं लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है।
आपके गोल्स दो तरह के होते हैं
एक लॉन्ग टर्म
दूसरा शॉर्ट टर्म
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लॉन्ग टर्म वह होते हैं जिसे आप सालों के अंत में पाना चाहते हैं जैसे आपने डिसाइड किया कि मुझे कुछ बनना है पायलट डॉक्टर जा इंजीनियर यह long-term है क्योंकि इसे आप सालों बाद प्राप्त करोगे
और दूसरे तरह का गोल होता है शॉर्ट टर्म जैसे अगले महीने मुझे एग्जाम में 90% स्कोर करना है यह है शॉर्ट टर्म गोल
आपको अपने लोंग टर्म गोल को एक पेपर पर लिखना है और शार्ट टर्म गोल को अलग पेपर पर लिखना है वेरी शॉर्ट टर्म गोल मतलब जो सिर्फ 1 दिन का गोल होता है आपको यह गोल रात को सोने से पहले लिखना है आप इस गोल में यह लिख सकते हैं कि मुझे कल सुबह उठने के बाद एक अच्छी सी स्माइल के साथ उठना है फिर gratitude को एक्सप्रेस करोगे फिर आप इस ब्रह्मांड को थैंक्स बोलोगे जिन चीजों के लिए आप शुक्रगुजार हूं और दिन भर के जो काम आप करना चाहते हो उन्हें पेपर पर लिख कर ऐसी जगह पर रख दो जहां पल पल आपकी नजर पड़ती हो इससे आप अपना डेली काम भी अच्छे से कर पाओगे ओर जो आप कागज पर लिखे हो जब अगली रात आप सोने से पहले यह देखोगे कि वह जो मैंने लिखा है वह मैंने पूरा किया तो मन मे एक sense of fulfillment आएगा तो आप ओर एक्टिव ज़िंदा ओर खुशमिजाज महसूस करोगे। रोजाना के गोल्स को तो देख लिया आपने पर लोंग टर्म गोल्स मतलब जिंदगी के बड़े मकसद भी उतनी ही जरूरी है और अगले 5 साल में जो कुछ भी हासिल करने की इच्छा रखते हो उन सब को भी लिख लो और देखना आपके अंदर मोटिवेशन अपने आप ही आने लगेगा।
अपने गोल्स को कागज पर लिखो यह तो जान लिया हमने लेकिन एक और जरूरी बात यह है कि आप अपने इच्छाओं को अपने गोल्स को भूल कर भी किसी को मत बताना ज्यादातर लोगों का यही अनुभव रहा है कि कि जब वह अपने मकसद यह गोल को किसी को बताते हैं तब वह उस गोल को अचीव नहीं कर पाते जब आप किसी से बोल देते हो कि आप यह काम करने जा रहे हैं ओर आगे चलकर किसी कारण से उस काम को नहीं कर पाते हो तब एक डिप्रेस्ड फीलिंग आती है जब आप अपने दोस्त या फैमिली रिलेटिव से बात करते हो और तब वह पूछे की आगे का प्लान क्या है तो आप बात बात में ही बता देते हैं कि यह है मेरा प्लान।
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अब आप यह सोचेंगे कि अगर मैं अपने गोल्स के बारे में दूसरों को बताऊंगा तो यार एक अच्छी चीज ही हुई ना इससे तो मुझे और प्रोत्साहन मिलेगा तो फिर आप क्यों बोल रहे हो कि अपने गोल्स के बारे में किसी को मत बताओ?
दोस्तों जैसा आप सोच रहे हो वैसा आपकी सोच काम नहीं करती आपके दोस्त भले ही आपको बधाई दें कि अपने तो बहुत ही अच्छा गोल सेट किया है अच्छा काम कर रहे हो पर 100 में से 95 गोल्स को पूरा नहीं कर पाओगे अगर आपने पब्लिक में बता दिया तो अब आप कहोगे पर कैसे?
इस पर भी बहुत सारी स्टडी की गई हैं पर प्रोफेसर पीटर की स्टडी बहुत ज्यादा इंटरेस्टिंग है इस स्टडी में 163 लोगों को लिया गया और आधे लोगों को कहा गया कि आप अपने गोल्स दूसरों को बता सकते हो और आधे लोगों को कहा गया कि आप अपने गोल सिर्फ अपने मन में ही रखना शुरू शुरू में जिन लोगों ने अपने मकसद के बारे में लोगों को खुलकर बताया उन लोगों ने यह कहा कि वह बहुत कॉन्फिडेंट महसूस कर रहे हैं और वह अपना गोल अचीव कर लेंगे इसके बाद उन सभी लोगों को एक 45 मिनट का काम दिया गया जो कि उनको उनके गोल्स के करीब ले जाएगा जैसे अगर तुम्हारा गोल पढ़ाई में टॉप करना है तो 45 मिनट तक सिर्फ पढ़ो और अगर सिंगिंग कंपटीशन में फर्स्ट आना है तो गाना गाने की प्रैक्टिस करो 45 मिनट तक सभी को अलग-अलग रूम दे दिया गया और उन्हें प्रैक्टिस करने को कहा गया और उनसे यह भी कहा गया कि वह बीच में रुक सकते हैं जब भी उनका मन करे वह काम छोड़ सकते हैं इस रिसर्च का रिजल्ट यह निकला कि जो लोग अपने गोल्स का ढिंढोरा नहीं पीटते थे वह पूरे 45 मिनट तक अपना काम कर पाए पर जिन लोगों को अपने गोल्स को पब्लिक करने की आदत थी वह लोग अपना काम सिर्फ 33 मिनट तक ही कर पाए और उसके बाद काम करना छोड़ दिया।
विज्ञान यह कहता है कि जब आप अपना मकसद या गोल्स सब को बताते हैं तब आपके दिमाग में एक “फेक फीलिंग ऑफ अचीवमेंट” आती है और दिमाग को ऐसा लगने लगता है जैसे आपने उस गोल को पूरा कर लिया वह पब्लिक जो आपको बधाई देती जिनसे आप अपने गोल्स के बारे में बातचीत करते हो उससे आप के ब्रेन में डोपामिन केमिकल निकलने लगता है उससे आपको यह लगता है कि आप उस गोल को पूरा करने के लिए स्टेप ले चुके हो लेकिन एक्चुअल में आपने कुछ भी नहीं किया है सिर्फ दोस्तों को बताया ही तो है तो इस तरह से आपका दिमाग काम करता है और इसलिए आपको अपने गोल्स किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए।
तो पहली बात गोल सेट करो
दूसरी बात उसे डायरी में लिखो बस अपने मोटिवेशन के लिए
और तीसरी बात अपने गोल्स के बारे में किसी को मत बताओ
यही तीन बातों के साथ आप अपने सपने को सच कर पाओगे।
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